गुवाहाटी (हिंस)। प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा असम विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता देवब्रत सैकिया ने कहा है कि असम में Bhav हाल ही में हुए ऑनलाइन ट्रेडिंग घोटाले का अप्रत्यक्ष रूप से गुजरात कनेक्शन है। उन्होंने आरोप लगाया कि गुजरात के दिखाए रास्ते पर चलते हुए ऑनलाइन ट्रेडिंग का जाल पूरे देश में फैल चुका है। कांग्रेस नेता सैकिया बुधवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि गुजरात की एक कंपनी ने जनवरी में देशभर के हजारों लोगों को झूठे सपने दिखाकर लूट लिया गया। इतना कुछ होने के बावजूद इस तरह के अवैध वित्तीय लेन-देन की निगरानी और नियमन की जिम्मेदारी संभालने वाले नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (एनएसई) और सेबी ने कोई सख्त कार्रवाई नहीं की। नतीजतन, गुजराती कंपनी का मालिक धवल सोलानी हजारों लोगों के अरबों रुपए लेकर आसानी से विदेश भागने में सफल रहा। उन्होंने आरोप लगाया कि असम में शेयर बाजार के नाम पर हुए रजिस्ट्रेशन घोटाले की जांच अब गुजरात मॉडल पर हो रही है। उन्होंने कहा कि आज गुजरात में पौंजी स्कीम चलाने वाली कंपनी के संस्थापक धवल सोलानी की तरह डीबी स्टॉक ब्रोकिंग के संस्थापक दीपांकर बर्मन को असम से भागने का मौका मिला है। उन्होंने कहा कि बिशाल फूकन से भी बदतर घोटाला करने वाले दीपांकर बर्मन को गिरफ्तार करने में सरकार विफल रही है। सैकिया ने कहा कि शेयर बाजार के नाम पर चल रही इन कंपनियों को बिना जांच पड़ताल के कैसे चलने दिया जा सकता है। सबसे बड़ी बात यह है कि डीबी स्टॉक ब्रोकर कंपनी ने डीबी (इंटरनेशनल) स्टॉक ब्रोकर्स लिमिटेड के नाम का नकल करके लोगों को ठगा । दीपांकर बर्मन ने इस स्थापित कंपनी के नाम पर 23 हजार लोगों को झांसा दिया था। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक दीपांकर के ऑस्ट्रेलिया में भी ग्राहक थे। सेबी और ईडी जैसी एजेंसियों को इतने समय तक कुछ पता क्यों नहीं चला। देवब्रत सैकिया ने कहा कि असम में मुख्यमंत्री की जानकारी के बिना ऑनलाइन कारोबार में हजारों करोड़ रुपए उड़ा दिए गए। मुख्यमंत्री ने अपने पुलिस विभाग को हजारों करोड़ की धोखाधड़ी में शामिल मुख्य दोषियों को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया है। असम में शेयर बाजार का केवल 1.1 प्रतिशत हिस्सा है। हालांकि, दीपक बर्मन पर ऑनलाइन स्टॉक ब्रोकिंग के नाम पर लगभग सात हजार करोड़ रुपए का गबन करने का आरोप है। उन्होंने सवाल उठाया कि ईडी ने अभी तक इस दीपांकर बर्मन के खिलाफ मामला क्यों नहीं दर्ज किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि डीबी स्टॉक ब्रोकिंग शेयर बाजार में निवेश के नाम पर असम के लोगों को बेवकूफ बना रहा है क्योंकि रॉयल ग्लोबल जैसी निजी क्षेत्र की यूनिवर्सिटी ने ऐसे धोखेबाजों को प्रायोजित किया है, जो गुजराती कंपनियों के तौर- तरीकों की नकल करते हैं। उलुबारी में सेंटर प्वाइंट नामक इमारत का स्वामित्व रॉयल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के एक पार्टनर के पास है। उन्होंने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि यह जगजाहिर है कि इस कारोबार को संरक्षण देने वाले लोग मुख्यमंत्री राहत कोष में नियमित रूप से योगदान देते हैं। गुजराती कंपनी क्रेडिट बुल के साथ जो हुआ है, वही असम में डीबी स्टॉक ब्रोकिंग के साथ हुआ है। उन्होंने कहा कि एक अन्य आरोपित बिशाल फूकन स्टाम्प पेपर पर अनुबंध करके लोगों से पैसे इकट्ठा कर रहा था। नोटरी के माध्यम से ऐसे स्टाम्प पेपर पर समझौते की जानकारी राज्य सरकार को क्यों नहीं है ? चार दिनों में 24 प्रतिशत लाभ और एक साल से भी कम समय में 240 दिनों 100 प्रतिशत लाभ के वादे के साथ बिशाल फूकन के कारोबार के बारे में असम सरकार के खुफिया विभाग को क्यों नहीं पता था ? हमारा सवाल यह है कि असम पुलिस ने मुख्य आरोपी दीपांकर बर्मन और उसके साथियों को अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया है। क्या सरकार दीपांकर बर्मन को भागने का मौका दे रही है, जैसे उसने गुजरात के क्रेडिट बुल के मालिक धवल सोलानी को विदेश भागने का मौका दिया था ? सरकार को असम के लोगों के सभी सवालों का एक-एक करके जवाब देना चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वे हजारों करोड़ रुपए के इस घोटाले पर श्वेत पत्र जारी करने का साहस करें ।