गूगल पर एक और मुकदमा, विज्ञापनों के एकाधिकार का मामला

मुंबई । विज्ञापनदाताओं के अब दर्शकों तक पहुंचने के लिए टिकटॉक जैसी सोशल मीडिया कंपनियों या पीकॉक जैसी स्ट्रीमिंग टीवी सेवाओं की ओर रुख करने की अधिक संभावना रहती है। गूगल के सर्च इंजन को एक न्यायाधीश द्वारा अवैध एकाधिकार वाला बताए जाने के करीब एक महीने बाद प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनी को उसकी विज्ञापन तकनीक को लेकर एक और मुकदमे का सामना करना पड़ रहा है। न्याय विभाग और राज्यों का तर्क है कि गूगल ने ऑनलाइन प्रकाशकों को विज्ञापनदाताओं से मिलाने वाली तकनीक पर एकाधिकार बनाया है और उसे कायम रखा है। सरकार ने अदालती दस्तावेजों में तर्क दिया है कि लेन-देन के खरीद और बिक्री दोनों पक्षों को लेकर सॉफ्टवेयर पर प्रभुत्व रखने से गूगल को प्रकाशकों और विज्ञापनदाताओं के बीच बिक्री के लिए दलाली करने पर एक डॉलर पर 36 सेंट तक अर्जित करने में मदद मिलती है। गूगल का कहना है कि सरकार का मामला पुराने जमाने के इंटरनेट पर आधारित है, जब डेस्कटॉप कंप्यूटर का बोलबाला था और इंटरनेट उपयोगकर्ता यूआरएल फील्ड में बड़ी सावधानी से सही-सही वर्ल्ड वाइड वेब पता टाइप करते थे । विज्ञापनदाताओं के अब दर्शकों तक पहुंचने के लिए टिकटॉक जैसी सोशल मीडिया कंपनियों या पीकॉक जैसी स्ट्रीमिंग टीवी सेवाओं की ओर रुख करने की अधिक संभावना रहती है। कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार हाल के वर्षों में, कैलिफोर्निया के माउंटेन व्यू से संचालित दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनी के विभाग गूगल नेटवर्क की आय में गिरावट देखी गई है, जो 2021 में 31.7 अरब अमेरिकी डॉलर से घटकर 2023 में 31.3 अरब अमेरिकी डॉलर रह गई है। गूगल नेटवर्क के तहत ‘एडसेंस’ और गूगल ऐड मैनेजर जैसी सेवाएं शामिल हैं, जो इस मामले के केंद्र में हैं।

गूगल पर एक और मुकदमा, विज्ञापनों के एकाधिकार का मामला
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