नई दिल्ली (हि.स.) । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि भारत एक विकसित देश बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। हमारे लिए आज के भू-राजनीतिक परिदृश्य में रक्षा सहित हर क्षेत्र में तेजी से विकास करना आवश्यक है। आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ हमें एक मजबूत सेना की भी आवश्यकता है । हमारी सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए मिशन मोड पर काम कर रही है कि हमारे सैनिकों के पास भारतीय धरती पर बने उच्च गुणवत्ता वाले हथियार और प्लेटफॉर्म हों। विशाखापट्टनम में अरिहंत श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी आईएनएस अरिघाट को भारतीय नौसेना में शामिल किए जाने के मौके पर रक्षा मंत्री ने विश्वास जताया कि अरिघाट पनडुब्बी से भारत की परमाणु ताकत को मजबूत होने के साथ ही क्षेत्र में रणनीतिक संतुलन और शांति स्थापित होगी। राजनाथ सिंह ने इस क्षमता को हासिल करने में भारतीय नौसेना, डीआरडीओ और उद्योग की कड़ी मेहनत और तालमेल की सराहना की। उन्होंने इस आत्मनिर्भरता को आत्मशक्ति की नींव बताया उन्होंने इस तथ्य की सराहना की कि देश के औद्योगिक क्षेत्र, विशेष रूप से एमएसएमई को इस परियोजना के माध्यम से भारी बढ़ावा मिला है और अधिक रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं। भारत को परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र के समकक्ष खड़ा करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की राजनीतिक इच्छाशक्ति को याद करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि आज भारत एक विकसित देश बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। हमारे लिए रक्षा सहित हर क्षेत्र में तेजी से विकास करना आवश्यक है, खासकर आज के भू-राजनीतिक परिदृश्य में। आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ हमें एक मजबूत सेना की भी आवश्यकता है। हमारी सरकार सैनिकों को भारतीय धरती पर बने उच्च गुणवत्ता वाले हथियार और प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराने के लिए मिशन मोड पर काम कर रही है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विशाखापट्टनम में पूर्वी नौसेना कमान बेस पर आईएनएस अरिघाट को भारतीय नौसेना में शामिल करने से पहले गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि आईएनएस अरिघाट के निर्माण में उन्नत डिजाइन और विनिर्माण प्रौद्योगिकी, विस्तृत अनुसंधान और विकास, विशेष सामग्रियों का उपयोग, जटिल इंजीनियरिंग और अत्यधिक कुशल कारीगरी का उपयोग किया गया है। पनडुब्बी पर स्वदेशी रूप से की गई तकनीकी प्रगति इसे अपने पूर्ववर्ती अरिहंत की तुलना में काफी उन्नत बनाती है। आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरिघाट दोनों की मौजूदगी संभावित विरोधियों को रोकने और अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने की भारत की क्षमता को बढ़ाएगी।