460 साल पुरानी एक चट्टान निकली उल्का पिंड, सोने से भी ज्यादा है कीमत
मेलबर्न। करीब एक दशक पहले ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न के पास मैरीबोरो रीजनल पार्क में डेविड होल नामक एक शख्स को बेहद कीमती चीज मिली थी। वे खुद मेटल डिटेक्टर से प्राचीन वस्तुओं और खनिजों की खोज में निकले थे।
इस दौरान उन्होंने एक भारी, लाल रंग की चट्टान को खोजा था, जो पीली मिट्टी के भीतर दबी हुई थी। डेविड इसे घर ले गए और इसे खोलने के लिए हर संभव कोशिश की। उन्हें यकीन था कि वह कोई मामूली चट्टान नहीं था। जब उन्होंने इसे पानी से धोया तो वह सोने की तरह चमक उठा। एक रिपोर्ट के मुताबिक, डेविड होल उस जगह पर खोज के लिए इसलिए निकले थे, क्योंकि मैरीबोरो में 19वीं सदी में सोने के बड़े-बड़े खदान थे। डेविड ने इस पत्थर को तोड़ने, फोड़ने और काटने की भी कोशिश की, यही नहीं उन्होंने इसे तेजाब से भी जलाया लेकिन उसपर एक खरोच तक नहीं आई। जब डेविड उसे तोड़ने में फेल रहें तो वे उसे मेलबर्न म्यूजियम में ले गए। हालांकि कई वर्षों बाद जांच में पता चला कि वह पत्थर कोई सोना नहीं था, बल्कि वह एक दुर्लभ उल्कापिंड था। मेलबर्न म्यूजियम के जियोलॉजिस्ट डरमोट हेनरी ने बताया कि यह बेहद कीमती है, क्योंकि यह जिन धातुओं से निर्मित है वह धरती पर नहीं पाए जाते हैं। उल्कापिंड का वजन 17 किलोग्राम (3715 पाउंड) है। इसे काटने के लिए शोधकर्ताओं ने हीरे की आरी का इस्तेमाल किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि यह 460 करोड़ साल पुराना पत्थर है।