रैपिड रेल प्रोजेक्ट के लिए धन नहीं देने पर सुप्रीम कोर्ट का दिल्ली सरकार को अल्टीमेटम

रैपिड रेल प्रोजेक्ट के लिए धन नहीं देने पर सुप्रीम कोर्ट का दिल्ली सरकार को अल्टीमेटम

नई दिल्ली, (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने रैपिड रेल प्रोजेक्ट के लिए दिल्ली स- रकार के फंड न देने पर नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपके पास विज्ञापन का पैसा है। जरूरी काम के लिए नहीं हैं। हम विज्ञापन बजट जब्त करने का आदेश देते हैं। कोर्ट ने कहा कि एक हफ्ते तक आदेश स्थगित रहेगा। तब तक कदम उठा लें यानी एक हफ्ते में 415 करोड़ रुपये रैपिड रेल प्रोजेक्ट के लिए दे दें। इसके पहले भी 24 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की खिंचाई की। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को रैपिड रेल प्रोजेक्ट के लिए 2 हफ्ते में 415 करोड़ रुपये देने कहा था। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि आपने तीन साल में विज्ञापन पर 1100 करोड़ खर्च किए लेकिन आम लोगों से जुड़ी अहम परियोजना के लिए हिस्सा नहीं दिया । क्या हमें एक साल का विज्ञापन बजट जब्त करने का आदेश देना होगा। तीन जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के लिए धन उपलब्ध कराने में असमर्थता व्यक्त करने पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम जैसे प्रोजेक्ट्स फंड के कारण रुकने नहीं चाहिए। कोर्ट ने प्रोजेक्ट के लिए फंड मुहैया ना कराने पर नाराजगी जताते हुए दिल्ली सरकार से तीन सालों के विज्ञापनों पर खर्च का विस्तृत ब्योरा देने को कहा था। दरअसल, 21 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली स- रकार को रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम कोरिडोर को 500 करोड़ रुपये का योगदान देने का निर्देश देते हुए सरकार से पर्यावरण मुआवजा शुल्क के फंड से यह राशि मुहैया कराने को कहा था। इस पर दिल्ली सरकार द्वारा असमर्थता जाहिर करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आप सरकार के द्वारा पिछले तीन सालों में दिए गए विज्ञापन की विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। दरअसल सेमी हा- ईस्पीड रेल कॉरिडोर के जरिए दिल्ली से मेरठ के बीच 82.15 किमी की दूरी 60 मिनट में तय होगी। 24 स्टेशनों वाला रीजनल रैपिड ट्रांसिट सिस्टम कॉरिडोर दिल्ली में सराय काले खां से मोदीपुरम, मेरठ तक का बनाया जा रहा है। इसकी अनुमानित लागत करीब 31,632 करोड़ रुपये है।

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