वैश्विक रुझानों से ही तय होगी शेयर बाजार की चाल : विश्लेषक
डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति भी शेयर बाजारों की चाल को प्रभावित करेगी
मुंबई ।
इस सप्ताह घरेलू स्तर पर किसी बड़े घटनाक्रम की गैरमौजूदगी में शेयर बाजार की चाल काफी हद तक वैश्विक रुझानों से ही तय होगी। विश्लेषकों ने यह राय जताई है। विश्लेषकों का कहना है कि विदेशी निवेशकों की कारोबारी गतिविधियों, वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति भी घरेलू शेयर बाजारों की चाल को प्रभावित करेगी। विश्लेषकों ने कहा कि स्पष्ट वैश्विक संकेतों के अभाव में बाजार का रुख मजबूती की उम्मीद में संभवत: अमेरिकी बांड के प्रतिफल, डॉलर सूचकांक और कच्चे तेल की कीमतों के साथ-साथ संस्थागत निवेश पर निर्भर करेगा ।
उन्होंने कहा कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव खत्म होने तक बाजार की स्थिरता प्रभावित हो सकती है और उस समय तक बाजार का एक स्पष्ट रुझान सामने आ सकता है। अगस्त से ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) बड़े पैमाने पर भारतीय बाजारों पूंजी निकाल रहे हैं। एक अन्य बाजार के जानकार का कहना है कि अगस्त से लेकर 15 नवंबर तक एफपीआई कुल मिलाकर 83, 422 करोड़ रुपये के शेयरों की शुद्ध बिकवाली की है। हालांकि इस अवधि में घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 77,995 करोड़ रुपये के शेयरों की खरीदारी की। डीआईआई के साथ व्यक्तिगत निवेशकों की खरीदारी ने एफपीआई की बिक्री को बेअसर कर दिया ।
डीआईआई और व्यक्तिगत निवेशकों की लिवाली का ही असर है कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का सूचकांक निफ्टी एक बार फिर 19,700 के आसपास मौजूद है जहां वह अगस्त की शुरुआत में था । बाजार वैश्विक और घरेलू व्यापक-आर्थिक आंकड़ों, अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल, कच्चे तेल के भंडारण, एफआईआई एवं डीआईआई के निवेश रुझान और डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल पर ध्यान केंद्रित करेगा । पिछले सप्ताह बीएसई का मानक सूचकांक सेंसेक्स में 890.05 अंक की तेजी रही, जबकि निफ्टी में 306.45 अंक की बढ़त रही। बीते सप्ताह बैंकिंग को छोड़कर सभी प्रमुख क्षेत्र इस तेजी में शामिल रहे और मजबूत लाभ दर्ज किया। व्यापक सूचकांकों ने अपनी उछाल बरकरार रखी और मिडकैप सूचकांक ने भी दो महीने के बाद अपनी रिकॉर्ड ऊंचाई हासिल कर ली। हालांकि वैश्विक संकेत काफी हद तक इस प्रवृत्ति को तय कर रहे हैं और यह प्रवृत्ति आने वाले सप्ताह में भी जारी रह सकती है ।