मणिपुर में एसडीपीओ की हत्या का मामला आदिवासी विधायकों की केंद्र से दखल की मांग
इंफाल। मणिपुर के मोरेह शहर में इस हफ्ते की शुरुआत में एक एसडीपीओ (उप-विभागीय पुलिस अधिकारी) की हत्या के बाद बवाल मच गया है। राज्य के 10 आदिवासी विधायकों ने लोगों के साथ राज्य बलों के व्यवहार पर चिंता व्यक्त की है। विधायकों ने एक संयुक्त बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने ड्यूटी के दौरान एसडीपीओ की मौत पर शोक व्यक्त किया है। ये सभी विधायक कुकी-जोमी - हमार समुदाय से संबंधित है। विधायकों ने कहा कि हम जमीनी रिपोर्टों के आधार पर मोरेह और टेंग्नौपाल जिले के अन्य स्थानों में लोगों के खिलाफ राज्य बलों द्वारा जारी ज्यादतियों और अत्याचारों को उजागर करना चाहते हैं । उन्होंने यह भी दावा किया कि राज्य बलों ने नागरिकों पर अत्याचार, आगजनी, अंधाधुंध गोलीबारी, लूटपाट का सहारा लेकर उन्हें भागने के लिए मजबूर किया। वहीं, विधायकों के आरोपों पर अधिकारी ने बताया कि मोरेह में अभियान इस तरह से चलाया गया है, ताकि किसी भी नागरिक अधिकार का उल्लंघन न हो। उन्होंने बताया कि राज्य और केंद्रीय बलों द्वारा संयुक्त रूप से ऑपरेशन चलाया गया। गौरतलब कि मोरेह के एसडीपीओ चिंगथम आनंद की 31 अक्तूबर को हत्या कर दी गई । आदिवासी आतंकियों ने उन्हें उस समय गोलियों से भून दिया जब वे शहर के पूर्वी मैदान में नए बनाए गए हेलीपैड का निरीक्षण कर रहे थे । आदिवासी विधायकों ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह मामले में तुरंत हस्तक्षेप करे। उन्होंने मोरे में तैनात सभी कमांडो की वापसी सुनिश्चित करने की मांग की है। बता दें कि बुधवार को भीड़ ने राजधानी इंफाल में मणिपुर राइफल्स के एक शिविर पर हमला कर हथियारों को लूटने की कोशिश की। इस पर सुरक्षाकर्मियों को हवा में कई राउंड गोलियां चलानी पड़ीं। वहीं, मंगलवार सुबह एसडीपीओ की गोली मारकर हत्या करने के बाद इंफाल में तनाव पैदा हो गया। शहर में राज्य और केंद्रीय बल दोनों को तैनात किया गया है। पुलिस ने कहा है कि इंफाल पश्चिम जिले के लांगोल इलाके में शुक्रवार सुबह अज्ञात बंदूकधारियों ने मैतेई लीपुन प्रमुख की गाड़ी पर छह राउंड फायरिंग की। हालांकि, इसमें कोई घायल नहीं हुआ। मैतेई लीपुन प्रमुख ने राज्य में जारी अशांति के लिए कुकी उग्रवादियों की कई बार आलोचना की । मणिपुर में 53 प्रतिशत मैतेई आबादी है, जबकि आदिवासी (नगा और कुकी) 40 प्रतिशत हैं । ये मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहते हैं।