योगा – योग एक प्राचीन भारतीय जीवन जीने की कला है। जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने (योग) का कार्य होता है। योग के माध्यम से शरीर, मन और मस्तिष्क को पूर्ण रूप से स्वस्थ एवं विकसित किया जा सकता है। तीनों के स्वस्थ रहने से आप स्वयं स्वस्थ रहते हैं। योग के द्वारा न सिर्फ बीमारियों का निदान किया जाता है, बल्कि इसे अपनाकर कई शारीरिक और मानसिक कष्टों को भी दूर किया जा सकता है। योग रोग प्रतिरोधक प्रणाली को मजबूत बनाकर जीवन में नई ऊर्जा का संचार करता है। योगा शरीर को शक्तिशाली एवं स्वस्थ बनाए रखता है साथ ही तनाव से भी दूर करता है जो रोजमर्रा की ज़िन्दगी के लिए आवश्यक है। योग आसन और मुद्राएं तन और मन दोनों को क्रियाशील बनाती हैं। ऐसे तीन योगासन जिससे बच्चों के मन का डर दूर होगा और आत्मविश्वास भी बढ़ेगा
1. वीरभद्रासन – वीरभद्रासन मन को शांत रखता है। यह पाचन को ठीक करता है तथा बच्चों में डर और चिंता को दूर करने का कार्य करता है। इसे करना हो तो सबसे पहले सीधे तनकर खड़े हो जाइए। अब अपने दाएं पैर को 2 से 4 फिट तक आगे की ओर ले जाए । दाएं घुटने को थो- सा मो दें और इस बात का ध्यान रहे कि बायां पैर सीधा हो तथा उसका तलवा जमीन से लगा हुआ हो। गहरी श्वांस भरते हुए दोनों हाथों को ऊपर की ओर करें। अपने कंधों को आरामदायक स्थिति में रहने दें। अब श्वांस को धीरे-धीरे छोते हुए पहले की अवस्था में आ जाएं।
2. शवासन इस
आसन कोकरना हो तो अपनी पीठ के सहारे लेट जाएं। पैर सीधे रखें। अपने दोनों हाथों को शरीर से कम से कम 5 इंच की दूरी पर इस तरह रखें कि दोनों हाथ की हथेलियां आसमान की ओर हो । अब शरीर के प्रत्येक अंग ढीला छो दें। आंखें बंद कर लें। पूरा ध्यान श्वांसों पर लगाएं। 3. वृक्षासन- वृक्ष’ का अर्थ पेड़ होता है। एकाग्रता और ध्यान में वृद्धि के लिए यह आसन किया जा सकता है। इसे करना हो तो सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं। अब दोनों पैरों को एक दूसरे से कुछ दूरी पर रखें और हाथों को ऊपर उठाएं। इसे सीधा करके हथेलियों को आपस में मिलायें। इसके बाद दाहिने पैर को घुटने से मोड़ते हुए उसके तलवे को बाई जांघ पर रख दें। बाएं पैर पर संतुलन बनाते हुए हथेलियां सिर और कंधे को सीधा एक ही सीध में रखें। यह स्थिति वृक्षासन की है। कुछ समय तक शरीर का संतुलन बनाए रखें, अब हाथ नीचे ले जाएं और मूल अवस्थो में लौट आएं