नई दिल्ली। वर्लड गोल्ड काउंसिल द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार 2025 में सोने के बाजार में मिश्रित संभावनाएं और चुनौतियां हो सकती हैं। वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में सोने की कीमतों में वृद्धि के संकेत हैं, लेकिन इसमें केंद्रीय बैंक की नीतियां, राजनीतिक तनाव, उपभोक्ता मांग, और निवेशकों की चाह सहित कई अन्य कारक भी शामिल हैं। जीडीपी, बॉन्ड प्रतिफल, और मुद्रास्फीति जैसे आर्थिक कारक सोने की कीमतों के मजबूत रहने की संकेत दे रहे हैं, लेकिन बाजार में अभी भी जोखिम है। वर्तमान में सोने की कीमत 76,000 – 78,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के बीच की है। एलकेपी सिक्योरिटीज के एक विशेषज्ञ ने बताया कि अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों के संकेत और मुनाफावसूली की वजह से सोने की कीमतों में गिरावट आई है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव और ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की परिभाषा में भी सोने के बाजार में महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है। ट्रंप के व्यवसाय समर्थक एजेंडे से घरेलू भावना में सुधार की उम्मीद है, लेकिन वैश्विक निवेशक मुद्रास्फीति और सप्लाई चेन के मुद्दों से चिंतित हैं। नीतियों में कटौती की उम्मीद है, जो सोने को समर्थन दे सकती है, लेकिन चुनौतियों का सामना भी हो सकता है। भारत और चीन के संकेत सोने की कीमतों पर भी प्रभाव डाल सकते हैं। चीन में आर्थिक विकास और सरकारी उत्साह उपभोक्ता मांग पर असर डाल सकते हैं, जबकि भारत में आर्थिक निरंतरता और वित्तीय स्थिरता सोने की कीमतों में लचीलापन ला सकती है। सामग्री में 2025 में सोने की कीमतों में सामान्य स्थिरता का अनुमान लिया जा रहा है और केंद्रीय बैंकों की खरीदारी से इसे एक स्थिर आधार पर लाने की आशा है।