181 डीएनएलए उग्रवादियों ने डाले हथियार

181 डीएनएलए उग्रवादियों ने डाले हथियार

डिमा हसाउ में शांति और समृद्धि की ओर मजबूत कदम : सीएम हाफलांग/गुवाहाटी। डिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी (डीएनएलए) के 181 विद्रोहियों ने शनिवार को दक्षिण असम के डिमा हसाउ जिले में असम के मुख्यमंत्री के समक्ष हथियार डाल डाले। इस मौके पर मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने सभी का स्वागत करते हुए इसे एक ऐतिहासिक दिन करार दिया। उन्होंने कहा कि जिन्होंने हिंसा का रास्ता छोड़कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के निर्माण के मिशन में शामिल हुए हैं, उनका मुख्यधारा में हार्दिक स्वागत है । यह क्षेत्र में शांति बहाली के लिए मील का पत्थर साबित होगा। डीएनएलए उग्रवादियों ने समारोह में एके-सीरीज राइफलें, एम16 राइफलें और ग्रेनेड सहित भारी मात्रा में अत्याधुनिक हथियार जमा किए। इसके लिए डिमा हसाउ जिले 'मुख्यालय हाफलांग में जिला खेल संघ मैदान में एक समारोह का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में असम के मुख्यमंत्री शर्मा, डिमा हसाउ स्वायत्त परिषद के प्रमुख देबोलाल गार्लोसा, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) जीपी सिंह और कई मंत्री, शीर्ष पुलिस और नागरिक प्रशासन के अधिकारी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि डीएनएलए उग्रवादियों का आत्मसमर्पण असम और देश के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। उन्होंने कहा कि सरकार डिमासा लोगों के विकास और कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है और जिन डीएनएलए कैडरों ने आत्मसमर्पण किया है, उन्हें समाज में फिर से शामिल होने के लिए सभी आवश्यक सहायता प्रदान की जाएगी। मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया के जरिए आज बताया कि डिमा हसाउ शांति समझौते पर अप्रैल 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि हाफलांग में आज एक समारोह में भाग लेते हुए उन्होंने विद्रोही समूह डिमासा लिबरेशन नेशनल आर्मी (डीएनएलए) के हथियार डालने वाले 181 सदस्यों में से प्रत्येक को चार- चार लाख रुपए की सावधि जमा राशि सौंपी। असम सरकार, जो राज्य के हर हिस्से में शांति, समृद्धि और विकास के लिए प्रतिबद्ध है, ने पहाड़ी जिले के सर्वांगीण विकास के लिए कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं शुरू की हैं। इन परियोजनाओं से जिले के शैक्षिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और संरचनात्मक विकास में महत्वपूर्ण मदद मिलने की उम्मीद है। उल्लेखनीय है कि डीएनएलए का गठन 2019 में हुआ था और यह असम में एक अलग डिमासा मातृभूमि के लिए लड़ रहा था ।

Skip to content