राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा को अब नहीं खाली करना पड़ेगा सरकारी आवास, ट्रायल कोर्ट का फैसला रद्द
नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा को बड़ी राहत दी है। अब राघव चड्ढा को सरकारी आवास खाली नहीं करना पड़ेगा। जस्टिस अनूप जयराम भांभानी की बेंच ने ट्रायल कोर्ट के सरकारी बंगला खाली करने के फैसले को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने 12 अक्टूबर को फैसला स- रक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान राघव चड्ढा की तरफ से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि 08 सितंबर 2022 को उपराष्ट्रपति ने टाइप सात बंगला आवंटित किए जाने को मंजूरी दी थी, क्योंकि पंजाब से उनको मिल रही धमकियों की वजह से जेड प्लस सुरक्षा मिली है। सुरक्षा पुनरीक्षण समिति ने भी टाइप छह बंगले को चड्ढा की सुरक्षा के लिहाज से अनुपयुक्त बताया था। उन्होंने कहा था कि यह ऐसा मामला है जहां उपराष्ट्रपति जो देश के सर्वोच्च अथॉरिटी में से एक होते हैं उन्होंने फाइल पर पूरी तरह से विचार कर फैसला लिया था। सिंघवी ने कहा था कि उपराष्ट्रपति ने बंगला आवंटित करने का आदेश दिया था लेकिन राज्यसभा आवास आवंटन करने वाली समिति ने 3 मार्च को टाइप सात बंगला खाली करने का नोटिस भेज दिया। जबकि याचिकाकर्ता करीब साल भर से यहां रह रहा था । इसके बाद याचिकाकर्ता ने आवास आवंटन समिति को पत्र लिखा, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया, जबकि नोटिस के 10 दिनों के भीतर याचिका दाखिल कर दी गई। सिंघवी ने कहा था राघव चड्ढा को पंजाब में सुरक्षा मिली हुई है, लेकिन ऐसा नहीं किया जा सकता कि दिल्ली में सुरक्षा कम कर दी जाए और यहां हत्या हो जाए। ऐसे में सुरक्षा घेरे के मुताबिक याचिकाकर्ता को बंगले का आवंटन नहीं किया जाना खतरनाक है । राज्यसभा के 245 में से 115 सांसदों को उनके अधिकृत स्तर से बड़े स्तर के बंगले आवंटित हैं। जनरल पूल भी 65 ऐसे ही बंगले आवंटित किए गए हैं । पटियाला हाउस कोर्ट ने 5 अक्टूबर को राघव चड्ढा के सरकारी आवास के आवंटन को रद्द करने के राज्यसभा सचिवालय की हाउस कमेटी के आदेश पर रोक लगाने के अपने फैसले को वापस ले लिया था । एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज सुधांशु कौशिक ने कहा था राघव चड्ढा बंगले पर निहित अधिकार नहीं है और एक सांसद होने के नाते उन्हें सुविधा दी गई है। पटियाला हाउस कोर्ट के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। पटियाला हाउस कोर्ट ने कहा था सरकारी बंगले का आवंटन एक राज्यसभा सदस्य के पूरे कार्यकाल के दौरान एक सुविधा है और वो एक अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा था जब बंगले का आवंटन रद्द कर दिया गया तो वे इस बंगले पर अधिकार नहीं जता सकते।