
गुवाहाटी (हिंस)। गौहाटी विश्वविद्यालय (गौविवि) के विकलांग अध्ययन विभाग द्वारा मंगलवार को विश्वविद्यालय के फणिधर दत्त प्रेक्षागृह में विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर ननी गोपाल महंत और प्रोफेसर दिगंत विश्व शर्मा उपस्थित थे । व्याख्यान का विषय नॉलेज इन द प्रोपाउंडर इंडियन सेंस ऑफ द वर्ल्ड ज्ञान था । इस अवसर पर प्रो. महंत ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा की मूल आत्मा को संजोए हुए है। अंधकार को मिटाकर प्रकाश फैलाने की यह छवि ज्ञान की परिवर्तनकारी शक्ति को दर्शाती है। भारतीय दर्शन में ज्ञान केवल बौद्धिक समझ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अज्ञान को दूर कर सामूहिक प्रबोधन की दिशा में अग्रसर होने की प्रेरणा देता है। इस अवसर पर दिगंता विश्व शर्मा, जो संस्कृत विभाग में अतिथि प्रोफेसर और डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय में प्रैक्टिसिंग प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं, ने भारतीय ज्ञान परंपरा के विविध आयामों पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारतीय दर्शन में ज्ञान केवल सूचनाओं का संकलन भर नहीं है, बल्कि यह अनुभवात्मक समझ और गहरे आत्मबोध की खोज का विषय है। उन्होंने बताया कि सच्चा ज्ञान परिवर्तनशील होता है। यह विवेक को विकसित करने, सत्य की पहचान करने और जीवन को सार्वभौमिक सत्य के अनुरूप ढालने की प्रक्रिया है । इस व्याख्यान में विकलांगता अध्ययन विभाग की प्रमुख प्रो. काबेरी साहा ने भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि ज्ञान की अवधारणा का अध्ययन प्राचीन भारतीय विचारधारा को आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जोड़ने में सहायक सिद्ध हो सकता है। यह हमें एकीकृत शिक्षण प्रणाली की ओर अग्रसर होने का अवसर प्रदान करता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह व्याख्यान भारत की बौद्धिक परंपराओं पर और अधिक शोध कार्य को प्रेरित करेगा।
