सुरक्षित देशों की सूची में भारत को शामिल करने पर संसदीय समिति के सवाल, अवैध शरण नहीं ले सकेंगे भारतीय
लंदन |
ब्रिटेन की संसद के ऊपरी सदन (हाउस ऑफ लॉर्ड्स) की एक समिति ने विस्तारित सुरक्षित देशों की सूची में भारत को शामिल किए जाने पर चिंता जताई है। इसके साथ ही अब अवैध रूप से देश में प्रवेश में करने वाले भारतीय शरण नहीं पा सकेंगे। यह समिति संसद में पेश किए गए मसौदों या विधेयकों को परखती है।
हाउस ऑफ लॉर्ड्स की बहुदलीय सेंकंडरी लेजिस्लेशन स्क्रूटनी कमेटी ने राष्ट्रीयतता, आव्रजन और शरण अधिनियम 2002 (सुरक्षित देशों की सूची में संशोधन) विनियम 2024 के मसौदे पर विचार किया। समिति ने जारी एक रिपोर्ट में निराधार मानवाधिकार उल्लंघन के दावों से निपटने के मकसद से बनाई गई नीति पर सवाल उठाया और उसमें अहम सूचना की कमी होने का आरोप लगाया ।
पूर्व गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने इस महीने की शुरुआत में हाउस ऑफ कॉमन्स में मसौदा नियमों को पेश किया था, जिसमें उन्होंने सख्ती से आकलन किया था कि भारत और जॉर्जिया को सूची में शामिल किए जाने के लिए सुरक्षित राज्य माना जाता है।
समिति में शामिल लिबरल डेमोक्रकेट सहयोगी बैरोनेस एंजेला हैरिस ने कहा, भारत और जॉर्जिया सुरक्षित देश हैं या नहीं, यह उनके मानवाधिकार रिकॉर्ड के आधार पर अलग-अलग दृष्टिकोण की गुंजाइश रखते हैं।
उन्होंने कहा, गृह मंत्रालय ने इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं दी है कि क्या इन देशों के नागरिकों से मौजूदा शरण दावों के बैकलॉग को पहले की तरह संसाधित किया जाएगा या पहले की तरह अमान्य माना जाएगा। कुल मिलाकर हमने पाया कि मसौदा विनियमों के साथ रखी गई व्याख्यात्मक सामग्री इस बात की स्पष्ट तस्वीर प्रदान नहीं करती है कि उन्हें व्यवहार में कैसे लागू किया जाएगा।
समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि उसे मिली जानकारी से पता चलता है कि भारत और जॉर्जिया दोनों में मानवाधिकारों का हनन व्यापक हो सकता है। ब्रेवरमैन की बर्खास्तगी के बाद से ब्रिटेन के मौजूदा गृह मंत्री जेम्स क्लेवरली से पूछताछ करने की आवश्यकता हो सकती है कि गृह कार्यालय दोनों देशों को विस्तारित सूची में जोड़ने के निष्कर्ष पर कैसे पहुंचा।