सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले से बिहार में बाल विवाह के खात्मे की उम्मीदों को लगे पंख

पटना (हिंस) । बाल विवाह की रोकथाम के लिए सुप्रीम कोर्ट के नए दिशानिर्देशों के बाद नई उर्जा से लैस बिहार के नागरिक समाज संगठनों ने इसके खात्मे में राज्य सरकार के सभी प्रयासों को हरसंभव सहयोग देने का वादा किया है। पत्रकारों से बातचीत के दौरान बिहार सरकार के प्रयासों में हरसंभव सहयोग का वादा करते हुए जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन एलायंस के संयोजक रवि कांत ने कहा कि बाल विवाह बच्चों से बलात्कार है । यह बच्चों से उनके अधिकार और उनकी स्वतंत्रता छीन लेता है। एलायंस के सहयोगी इस अपराध के खात्मे के लिए काम कर रहे हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों से हमारे संकल्प को मजबूती मिली है। रविकांत ने कहा कि जेआरसीए बिहार से 2030 तक इस घृणित अपराध के खात्मे के संकल्प को पूरा करने के लिए राज्य सरकार का हरसंभव सहयोग व समर्थन करेगा। हमारे लिए यह अत्यंत गर्व का विषय है कि भारत इस घृणित अपराध के खात्मे की लड़ाई में सबसे अगली कतार में है और इसकी नीतियों व न्यायिक फैसलों ने दुनिया के सामने नजीर पेश की है। एसोसिएशन फॉर वालंटरी एक्शन के मुख्तारुल हक ने भी इस राय से सहमति जताते हुए कहा कि हम इस बात के गवाह हैं कि किस तरह सभी हितधारकों के प्रयासों में समन्वय व संम्मिलन, जागरूकता और शिक्षा एक ऐसे परिवेश के निर्माण की कुंजी हैं जहां बाल विवाह की गुंजाइश खत्म हो जाती है। हम सभी इन मोर्चों पर काम कर रहे हैं और अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इसकी अहमियत को रेखांकित किया है। हम आश्वस्त हैं कि इन दिशानिर्देशों पर तत्काल और प्रभावी अमल से हम 2030 से पहले ही बाल विवाह के खात्मे के निर्णायक बिंदु तक पहुंच जाएंगे। पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए प्रयास जेएसी सोसायटी के मुख्य समन्वयक अधिकारी जितेंदर कुमार सिंह ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक फैसला है जो भारत से बाल विवाह के खात्मे का मार्ग प्रशस्त करेगा। इस फैसले ने सभी की जवाबदेही तय की है और यह सुनिश्चित किया है कि पंचायत से लेकर पुलिस तक सभी इस अपराध के खात्मे में अपनी भूमिका व जिम्मेदारी को समझें । हम राज्य सरकार के साथ खड़े हैं और जैसे भी संभव होगा, उसकी मदद करेंगे। उल्लेखनीय है कि बाल विवाह मुक्त भारत (सीएमएफआई ) अभियान

सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले से बिहार में बाल विवाह के खात्मे की उम्मीदों को लगे पंख
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