सीरिया से बशर अल-असद की सत्ता ख़त्म हो गई है. असद परिवार पिछले 50 सालों से सीरिया की सत्ता पर काबिज था । असद की सत्ता खत्म होने से पूरी दुनिया में सुन्नी मुस्लिम समुदाय में खुशी की लहर दौड़ गई है। इसके अलावा दुनिया भर में वामपंथी और लिबरल समुदाय बहुत खुश है क्योंकि उसे लगता है कि एक तानाशाह की सत्ता का अंत हो गया है । यह सच है कि असद एक क्रूर तानाशाह थे लेकिन जो लोग सत्ता में आ रहे हैं, वो उनसे बड़े तानाशाह और क्रूर साबित होने वाले हैं। बड़ी अजीब बात है कि जिहादी गुट हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) सिर्फ दस दिनों में असद की सत्ता को खत्म करके सीरिया पर कब्जा कर लिया है । इतने दिनों से चल रहे सत्ता संघर्ष में अचानक ये सब नहीं हुआ है । इसके पीछे अमेरिका, इजराइल और तुर्की का हाथ है । एक विद्रोही नेता ने बयान दिया है कि उनके आदमी कई सालों से तुर्की में प्रशिक्षण ले रहे थे। एचटीएस के नेता जोलानी ने कहा है कि उसे बशर अल-असद की सत्ता को उखाड़ फेंकने का काम दिया गया था और उसने वो पूरा कर दिया है । असद सरकार को रूस, ईरान, चीन और इराक से समर्थन मिल रहा था लेकिन मुख्य रूप से उसकी मदद रूस और ईरान कर रहे थे। रूस यूक्रेन के साथ युद्ध में उलझा हुआ है और ईरान इजराइल के साथ संघर्ष के कारण कमजोर हो चुका है। इसके अलावा असद को हिजबुल्लाह का भी सहयोग मिल रहा था लेकिन इजराइल से संघर्ष के कारण हिजबुल्लाह असद सरकार की मदद नहीं कर पाया । दूसरी तरफ विद्रोहियों को अमेरिका, तुर्की, सऊदी अरब, इजराइल और अन्य यूरोपीय देशों से सैन्य और वित्तीय मदद मिल रही थी । यही कारण है कि विद्रोहियों को इतनी आसानी से असद सरकार को उखाड़ फैकने में सफलता प्राप्त हो गई । इसके अलावा सीरिया की जनता भी असद सरकार से परेशान थी इसलिए सत्ता परिवर्तन आसानी से हो गया। एचटीएस प्रमुख अबु मोहम्मद अल-जोलानी जिसे आज स्वतंत्रता सेनानी बताया जा रहा है, वो कभी अलकायदा का सदस्य था और अमेरिका ने उस पर एक करोड़ डॉलर का इनाम रखा हुआ था । इस आदमी का आईएसआईएस से भी सम्बन्ध रहा है। एक आतंकवादी को उदारवादी नेता की तरह अमेरिका का डीप स्टेट प्रस्तुत कर रहा है । कितनी अजीब बात है कि जिस आतंकवादी नेता पर अमेरिका ने इतना बड़ा इनाम रखा हुआ था, उसी व्यक्ति की जीत पर अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और दूसरे यूरोपीय देश जश्न मना रहे हैं । जोलानी की सत्ता आना सीरिया में नये युग की शुरुआत बताया जा रहा है । जिस अलकायदा को खत्म करने के नाम पर अमेरिका ने लाखों लोगों को मौत के घाट उतार दिया, आज उसी अलकायदा के नेता को सत्ता में बिठाकर शांति की उम्मीद की जा रही है । जो बाईडन ने सीरिया को आर्थिक पैकेज देने का भी ऐलान कर दिया है । अब सवाल उठता है कि जोलानी के आने के बाद क्या सब कुछ शांत हो जायेगा । आईएसआईएस इस मौके का वर्षों से इंतजार कर रहा था । असद के जाने के बाद सीरिया में अराजकता पैदा होने वाली है और अराजकता आईएस के लिए खाद का काम करती है। सद्दाम हुसैन के जाने के बाद पैदा हुई अराजकता ने ही आईएस को इराक में खड़ा होने का अवसर दिया था । वो अब अपने कब्जे वाले इलाके से बाहर आकर सीरिया के अन्य इलाकों पर कब्जा करने की कोशिश करेगा और इसके कारण उसका संघर्ष जोलानी की सेना से होगा । यह बात अमेरिका भी जानता है इसलिए उसने जोलानी की जीत के तत्काल बाद आईएस के कब्जे वाले इलाकों पर बड़ा हमला किया है । डोनाल्ड ट्रंप के आने के बाद क्या होगा, यह देखना होगा। ट्रंप ने कहा है कि सीरिया हमारा दोस्त नहीं है. वहां जो कुछ भी हो रहा है, उससे हमें कोई मतलब नहीं है क्योंकि यह हमारी लड़ाई नहीं है । मतलब साफ है कि अगर आईएस सीरिया में आगे बढ़ता है तो ट्रंप के आने के बाद सीरिया को बचाने अमेरिका नहीं आने वाला है । आईएस से निपटना जोलानी के लिए आसान होने वाला नहीं है क्योंकि अब उसे अमेरिका और इजराइल की मदद मिलना मुश्किल होने वाला है। असद परिवार को रूस सीरिया से निकाल कर ले गया है और अपने देश में उनको शरण दे दी है। अभी रूस और ईरान इस हालत में नहीं हैं कि वो कुछ कर सके लेकिन आगे चलकर सीरिया के हालात क्या मोड़ ले सकते हैं, कुछ कहा नहीं जा सकता । रूस और ईरान को मौका मिला तो वो असद को फिर सीरिया की सत्ता में बिठा सकते हैं। असद का जिंदा रहना सीरिया की राजनीति में कभी भी बदलाव ला सकता है । अगर लीडर जिंदा रहता है तो वो कभी भी वापिसी कर सकता है । इसलिए यह सोचना कि असद की सत्ता हमेशा के लिए खत्म हो गई है, अभी जल्दबाजी होगी । इजराइल को असद सरकार के जाने का सबसे बड़ा फायदा हुआ है । पिछले 50 सालों से इजराइल की तमन्ना थी कि वो गोलान हाइट्स और सीरिया के कुछ अन्य क्षेत्रों पर कब्जा कर ले । उसने गोलान हाइट्स के बफर जोन पर कब्जा कर लिया है और आगे बढ़ रहा है । इजराइल कहां जाकर रुकेगा, अभी कुछ नहीं कहा जा सकता । एक तरफ इजराइल असद के जाने की खुशी मना रहा है तो दूसरी तरफ वो बफर जोन पर कब्जा कर रहा है । इसके अलावा इजराइल ने सीरिया के कई इलाकों पर भारी बमबारी की है । इसका मतलब साफ है कि इजराइल जानता है कि आगे चलकर एचटीएस उसके लिए खतरा बन सकता है इसलिए उसने सीरिया के सैन्य अड्डों पर हमला किया है। इजराइल अपने हमलों से सीरिया के सैन्य अड्डों को खत्म कर रहा है ताकि भविष्य में उनका इस्तेमाल एचटीएस न कर सके | ईरान के लिए बड़ी समस्या यह खड़ी हो गई है कि उसका हिज्बुल्लाह और हमास से सड़क सम्पर्क टूट गया है । सीरिया पर एचटीएस के कब्जे के बाद वो अब हिज्बुल्लाह और हमास को हथियार सप्लाई नहीं कर पायेगा । ऐसी हालत में इजराइल ईरान के दोनों संगठनों को खत्म कर सकता है। सीरिया में रूस का वायुसेना और नौसेना का अड्डा है । विद्रोहियों ने रूस को आश्वासन दिया है कि वो रूस के अड्डों की सुरक्षा करेंगे और उन पर हमला नहीं किया जायेगा । अब देखना होगा कि वो अपने वादे पर कितना अमल करते हैं। सीरिया का बड़ा हिस्सा कुर्दों के पास है. असद सरकार कुर्दों के साथ समझौता कर चुकी थी और उनके साथ संघर्ष नहीं कर रही थी । अब कुर्दों का जोलानी से संघर्ष होना तय दिखाई दे रहा है क्योंकि कुर्द अपने कब्जे वाले इलाके से आगे बढ़ने की कोशिश कर सकते हैं। अब देखना होगा कि अमेरिका कुर्द और एचटीएस के बीच संघर्ष होने पर क्या करता है क्योंकि ये दोनों ही अमेरिका के सहयोगी हैं और दोनों को ही अमेरिका से मदद मिल रही है। एचटीएस के सत्ता में आने के बाद तुर्की भी कुर्दों पर हमला कर सकता है । कुर्दों को लेकर अमेरिका और तुर्की में विवाद बढ़ सकता है ।