सीएए विरोधी प्रदर्शनों को लेकर गिरफ्तार एएमयू हाई कोर्ट में दी चुनौती छात्र ने संज्ञान आदेश को हाई

सीएए विरोधी प्रदर्शनों को लेकर गिरफ्तार एएमयू हाई कोर्ट में दी चुनौती छात्र ने संज्ञान आदेश को हाई
सीएए विरोधी प्रदर्शनों को लेकर गिरफ्तार एएमयू हाई कोर्ट में दी चुनौती छात्र ने संज्ञान आदेश को हाई

प्रयागराज (हिंस)। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के 25 वर्षीय छात्र ने सीएए – एनआरसी विरोधी प्रदर्शन के दौरान नारे लगाने और इस तरह लोकसेवक के आदेश की अवहेलना करने के आरोप में 2020 की एफआईआर में संज्ञान आदेश, आरोप पत्र और पूरे मामले की कार्रवाई को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी है। याची मिस्बाह कैसर, जो एएमयू में बी आर्क छात्र है, उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 188 (लोक सेवक द्वारा जारी आदेश की अवज्ञा) और 341 ( गलत तरीके से रोकने के लिए सजा) के तहत मामला दर्ज किया गया था । उन पर आरोप था कि उन्होंने सड़क अवरुद्ध कर दिया, जिससे आम लोगों के साथ – साथ एम्बुलेंसों के आने में भी बाधा उत्पन्न हुई। इस मामले की सुनवाई मंगलवार (18 मार्च) को न्यायमूर्ति संजय कुमार पचोरी की पीठ के समक्ष होने की उम्मीद है। याची का कहना है कि जांच अधिकारी द्वारा उसके खिलाफ लगाई गई दो धाराएं किसी ठोस सबूत या कानूनी आधार पर समर्थित नहीं हैं। इसके अलावा उनका तर्क है कि संज्ञान आदेश कानून की दृष्टि से त्रुटिपूर्ण है । क्योंकि भारतीय दंड संहिता की धारा 188 का संज्ञान एक पुलिस अधिकारी की लिखित शिकायत के आधार पर लिया गया था। याचिका में कहा गया है कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 195 के अनुसार, आईपीसी की धारा 172 से 188 के तहत दंडनीय अपराधों का संज्ञान केवल संबंधित लोकसेवक या किसी अन्य लोकसेवक की लिखित शिकायत पर लिया जा सकता है, जिसके वे प्रशासनिक रूप से अधीनस्थ हैं। हालांकि, वर्तमान मामले में ऐसा नहीं है। याचिका में कहा गया है कि सीआरपीसी की धारा 144 के तहत जिस आदेश की उन्होंने अवहेलना की है, उसे उन्हें कभी नहीं दिखाया गया, घटनास्थल पर नहीं रखा गया / चिपकाया गया अथवा सीआरपीसी की धारा 134 द्वारा निर्धारित किसी भी तरीके से तामील नहीं किया गया।

सीएए विरोधी प्रदर्शनों को लेकर गिरफ्तार एएमयू हाई कोर्ट में दी चुनौती छात्र ने संज्ञान आदेश को हाई
सीएए विरोधी प्रदर्शनों को लेकर गिरफ्तार एएमयू हाई कोर्ट में दी चुनौती छात्र ने संज्ञान आदेश को हाई