घरेलू शेयर बाजार के लिए 25 अक्टूबर को खत्म हुआ कारोबारी सप्ताह एक बार फिर बड़ी गिरावट वाला सप्ताह साबित हुआ। शेयर बाजार में लगातार चौथे सप्ताह कमजोरी बनी रही। इस सप्ताह सेंसेक्स और निफ्टी दोनों सूचकांक दो प्रतिशत से अधिक लुढ़क गए। बीएसई का सेंसेक्स साप्ताहिक आधार पर 1,822.46 अंक यानी 2.24 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 79,402.29 अंक के स्तर पर बंद हुआ। इसी तरह एनएसई का निफ्टी 673.25 अंक यानी 2.70 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ। इस गिरावट के कारण अगस्त 2023 के बाद घरेलू शेयर बाजार में पहली बार सबसे लंबी साप्ताहिक बिकवाली का सिलसिला देखा गया। शेयर बाजार में साप्ताहिक आधार पर आई इस कमजोरी के कारण स्टॉक मार्केट के निवेशकों की संपत्ति में 20 लाख करोड़ रुपये से अधिक की कमी हो गई। बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन 25 अक्टूबर को खत्म हुए कारोबारी सप्ताह के बाद घट कर 437.43 लाख करोड़ रुपये (अस्थाई) हो गया । जबकि इसके पहले के यानी 18 अक्टूबर को खत्म हुए कारोबारी सप्ताह के बाद इनका मार्केट कैपिटलाइजेशन 458.15 लाख करोड़ रुपये था। इस तरह निवेशकों को 21 से 25 अक्टूबर के साप्ताहिक कारोबार से करीब 20.72 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो गया। 21 से 25 अक्टूबर तक के कारोबार के दौरान बीएसई के लार्ज कैप इंडेक्स में 3.21 प्रतिशत की कमजोरी दर्ज की गई। लार्ज कैप इंडेक्स में शामिल कंपनियों में से एबीबी इंडिया, अडाणी एनर्जी सॉल्यूशंस, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, सिमेंस, इंडसइंड बैंक, बंधन बैंक, इंडस टावर्स, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन, अडाणी एंटरप्राइजेज, टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स और डीएलएफ के शेयर में साप्ताहिक आधार पर 10 से लेकर 22 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई। लार्ज कैप की तरह बीएसई के मिडकैप इंडेक्स में भी पिछले कारोबारी सप्ताह के दौरान 5.2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई । इस इंडेक्स में शामिल कंपनियों में से सुप्रीम इंडस्टरीज, राजेश एक्सपोर्ट्स, एलएंडटी फाइनेंस, वोडाफोन आइडिया, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया, एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक, आदित्य बिड़ला फैशन एंड रिटेल, भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स, इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन, गुजरात फ्लोरोकेमिकल्स और एसजेवीएन के शेयर 10 से लेकर 15 प्रतिशत तक लुढ़क गए। पिछले सप्ताह सबसे अधिक गिरावट बीएसई के स्मॉलकैप इंडेक्स में दर्ज की गई। 21 से 25 अक्टूबर के बीच हुए कारोबार के दौरान स्मॉलकैप इंडेक्स साप्ताहिक आधार पर 7.3 प्रतिशत टूट गया। स्मॉलकैप कंपनियों में से आरबीएल बैंक, आईआईएफएल सिक्योरिटीज, पीएनसी इंफ्राटेक, पूनावाला फिनकॉर्प, हुहतमाकी इंडिया, जीबीएस फार्मा, चेन्नई पेट्रोलियम कॉरपोरेशन और केपीआईटी टेक्नोलॉजी के शेयरों में 20 से लेकर 32 प्रतिशत तक की बड़ी गिरावट दर्ज की गई। हालांकि स्मॉलकैप की कुछ कंपनियां ने साप्ताहिक आधार पर 10 से लेकर 15 प्रतिशत तक मुनाफा भी कमाया। इन कंपनियों में सिटी यूनियन बैंक, केयर रेटिंग्स, दीपक फर्टिलाइजर्स, टाईमेक्स ग्रुप इंडिया और अंबर एंटरप्राइजेज इंडिया के नाम शामिल हैं। मार्केट प्राइस वैल्यू के हिसाब से देखा जाए तो शेयर बाजार की हलचल की वजह से 25 अक्टूबर को खत्म हुए कारोबारी सप्ताह के दौरान हिंदुस्तान यूनिलीवर को सबसे अधिक नुकसान का सामना करना पड़ा। इसके अलावा रिलायंस इंडस्ट्रीज, स्टेट बँक ऑफ इंडिया और लार्सन एंड टूब्रो मार्केट प्राइस वैल्यू में गिरावट के मामले में दूसरे, तीसरे चौथे स्थान पर रहे। दूसरी ओर एचडीएफसी बैंक, टेक महिंद्रा और बजाज फाइनेंस के मार्केट प्राइस वैल्यू में सबसे अधिक बढ़ोतरी हुई। मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि पिछले कारोबारी सप्ताह के दौरान भी मिडिल ईस्ट में जारी तनाव और चीन द्वारा दिए गए आर्थिक राहत पैकेज के कारण विदेशी संस्थागत निवेशक लगातार बिकवाली करते रहे। विदेशी निवेशकों के जोरदार आउटफ्लो के कारण मार्केट सेंटीमेंट लगातार बिगड़ते गए। इसके साथ ही मौजूदा वित्त वर्ष की सितंबर में खत्म हुई दूसरी तिमाही के दौरान कंपनियों के कमजोर नतीजों ने भी बाजार की गिरावट में अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर बनी अनिश्चितता के कारण भी ग्लोबल सेंटीमेंट्स में पॉजिटिविटी नहीं आ सकी है, जिसका असर अमेरिका समय दुनिया भर के स्टॉक मार्केट में गिरावट के रूप में नजर आ रहा है। अलकनंदा फाइनेंशियल सर्विसेज के सीईओ रमेश गौतम के मुताबिक घरेलू बाजार के ऊंचे वैल्यूएशन के कारण भी लंबे समय से करेक्शन होने की संभावना जताई जा रही थी। ऐसे में मिडिल ईस्ट के तनाव और घरेलू मोर्चे पर कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजों ने करेक्शन के लिए एक ट्रिगर का काम किया है, जिसकी वजह से अक्टूबर के महीने में लगातार बिकवाली का दबाव बना हुआ है। इस बिकवाली की वजह से सेंसेक्स और निफ्टी दोनों सूचकांक 6 प्रतिशत से अधिक की गिरावट का शिकार हो चुके हैं। रमेश गौतम का कहना है कि वैश्विक मोर्चे से अभी भी निगेटिविटी बढ़ाने की ही खबरें आ रही हैं, इसलिए घरेलू शेयर बाजार में भी जल्दी सुधार आने के आसार कम ही हैं।