गुवाहाटी (हिंस) । लोकसभा में विपक्ष के उप नेता और जोरहाट के सांसद गौरव गोगोई ने सरकार से असम की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का झंडा बुलंद करने वाले विश्व के सबसे नदी दीप माजुली के सत्र नगरी के अस्तित्व की रक्षा करने का आग्रह किया है। लोकसभा अधिनियम 377 के तहत विपक्ष के उपनेता गोगोई ने गुरुवार को ब्रह्मपुत्र नद की भीषण बाढ़ और कटाव से नदी द्वीप माजुली के अस्तित्व के खतरे का मुद्दा उठाते हुए सरकार का ध्यान आकर्षित किया और कहा कि भविष्य के लिए माजुली की सुरक्षा के हित में सभी आवश्यक संसाधनों का आवंटन किया जाना चाहिए। गोगोई ने कहा कि लंबे समय से चली आ रही प्राकृतिक आपदाओं, विशेष रूप से बाढ़ के कारण माजुली का अस्तित्व खतरे में है। वर्षों से, विनाशकारी बाढ़ ने इसके हजारों निवासियों को बेघर कर दिया है। कटाव के कारण मिट्टी, मकान और दरवाजेघर – बार नद में समा गए हैं, जिससे प्रभावित लोगों को अपनी छोड़नी पड़ रही है। प्राकृतिक आपदाओं ने जीवन और आजीविका के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं । द्वीप का क्षेत्र खतरनाक दर से सिकुड़ने के साथ लोग, जिन्होंने कृषि को अपनी आजीविका के रूप में लिया है, एक अंधेरे भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं। इस तथ्य का उल्लेख करते हुए कि जोरहाट – माजुली पुल का निर्माण रुक गया है, सांसद ने कहा कि यह द्वीप के समग्र विकास में एक बाधा के रूप में खड़ा है। उन्होंने कहा कि बहुप्रतीक्षित जोरहाट – माजुली लिंक पुल का निर्माण कार्य ठप हो गया है। इसके चलते द्वीप की कनेक्टिविटी और आर्थिक विकास को गंभीर रूप से बाधित किया है। पुल पूरा नहीं हुआ है, जिससे आवश्यक वस्तुओं, चिकित्सा आपूर्ति और कृषि उपज के परिवहन में बाधा उत्पन्न है, जिससे द्वीप के लोग लगभग अलग-थलग और कमजोर हो गए हैं। सांसद ने 2014 में शुरू हुई जोरहाट – डिब्रूगढ़-जगीरोड परियोजना के लिए 2015 में मुआवजे के बावजूद भूमि अधिग्रहण और निर्माण में देरी की ओर भी इशारा किया। इस बात पर चिंता व्यक्त करते हुए कि इस तरह के मुद्दों से माजुली का भविष्य प्रभावित हुआ है, उन्होंने कहा कि सरकार को माजुली की अनूठी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और इसके लोगों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए त्वरित और निर्णायक कदम उठाने होंगे। गोगोई ने सरकार से इस जरूरी मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने और माजुली के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए आवश्यक धन आवंटित करने का आग्रह किया ।