समलैंगिक विवाह: एससी के फैसले से कई नाखुश तो किसी को बदलाव की उम्मीद
नई दिल्ली। समलैंगिक विवाह को कानूनी तौर पर वैधता देने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी वैधता देने से इनकार कर दिया है। सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 3-2 के बहुमत के फैसले से कहा कि इस तरह की अनुमति सिर्फ कानून के जरिए ही दी जा सकती है और कोर्ट विधायी मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। गौरतलब है कि कोर्ट ने 10 दिनों की सुनवाई के बाद 11 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर याचिकाकर्ताओं की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि वह इस फैसले से नाखुश हैं। हालांकि उन्होंने दावा किया कि फैसले में की गई कई टिप्पणियां हमारे पक्ष में थी । हमें इस बात पर खुशी है कि फैसले में मुख्य न्यायाधीश ने वास्तव में इसे अधिकारों का बंडल करार दिया। उन्होंने इस दौरान कहा कि हर विवाहित जोड़े के पास जो होना चाहिए वही इन समलैंगिक जोड़ों के लिए उपलब्ध होना चाहिए। मीडिया से बातचीत के दौरान गीता लूथरा ने यह बात कही। बता गीता लूथरा समलैंगिक मामले में कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुई थी । अन्य याचिकाकर्ता हरीश अय्यर कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमारे पक्ष में नहीं है, हालांकि मामले में की कई टिप्पणियां हमारे पक्ष में थी । जिसकी जिम्मेदारी भी केंद्र सरकार पर डाल दी है। अय्यर ने कहा कि हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम अपनी चुनी हुई सरकार, सांसदों और विधायकों के पास जाएं और उन्हें बताएं कि हम दो लोगों की तरह अलग हैं। इसमें कुछ समय लग सकता है लेकिन हमें सामाजिक समानता मिलेगी। अन्य याचिकाकर्ताओं में से एक और कार्यकर्ता अंजलि गोपालन ने कहा कि वह समलैंगिक विवाह समानता के फैसले से निराश हैं, लेकिन जो महत्वपूर्ण था वह यह था कि ट्रांस समुदाय के सदस्यों के विवाह की वैधता को स्पष्ट किया गया। मुझे लगता है कि कम से कम ट्रांस समुदाय के लिए, स्पष्टता है, जो कि एक अच्छी बात है, और साथ ही भेदभाव की परिभाषा को स्पष्ट किया गया है।