इलाहाबाद में स्थित मनोविज्ञानशाला में हाल ही में एक सर्वे हुआ था। ग्रामीण व शहरी इलाकों में छात्र-छात्राओं के बीच कराए गए सर्वे में यह बात सामने आई है कि आज के प्रतिस्पर्धात्मक युग में शहरी बच्चे अपने माता-पिता की उदासीनता के शिकार हो रहे हैं। शोध में यह भी पता चला है कि ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहर के बच्चों पर पारिवारिक उदासीनता का ज्यादा नकारात्मक असर पड़ रहा है। 2015-16 शैक्षिक सत्र में कुल 500 छात्र व 258 छात्राओं पर सर्वे किया गया। ये सभी बच्चे 10वीं के विद्यार्थी हैं। जब लड़के व लड़कियों पर अलग-अलग अध्ययन किया गया तो पता चला कि लड़कियों की अपेक्षा लड़कों की शैक्षिक उपलब्धि और समायोजन पर इस उदासीनता का अधिक प्रतिकूल प्रभाव है। सर्वे के बाद अभिभावकों के लिए तीन प्रमुख सुझाव दिए गए हैं। अभिभावकों को सलाह दी गई है कि दूसरे बच्चों से तुलना की बजाय अपने बच्चे की उपलब्धि एवं अच्छे प्रयासों की सराहना करें। बच्चों पर विश्वास करने की आदत विकसित करें और उन्हें घरेलू कार्य का दायित्व सौंपें जिससे वे शैक्षिक व घरेलू कार्यों में सामंजस्य स्थापित करने में सक्षम हो सकें। मन की एकाग्रता व स्थिरता को बढ़ाने के लिए रोज लगभग 20 मिनट योगाभ्यास करने की सलाह दी गई है।