दैनिक जीवन में प्रतिदिन उपयोग में आने वाले सामान (एफएमसीजी) बनाने वाली देश की प्रमुख कंपनियों के मुनाफे में सितंबर तिमाही में ऊंची उत्पादन लागत तथा खाद्य मुद्रास्फीति की वजह से गिरावट आई है। इससे अंततः शहरी क्षेत्रों में खपत प्रभावित हुई है। एफएमसीजी कंपनियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले सामान जैसे पाम तेल, कॉफी और कोको के भाव बढ़ गए हैं। ऐसे में अब कुछ एफएमसीजी कंपनियों ने कीमतें बढ़ाने का संकेत दिया है। हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल), गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (जीसीपीएल), मैरिको, आईटीसी और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (टीसीपीएल) ने शहरी खपत में कमी पर चिंता जताई है। उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार एफएमसीजी क्षेत्र की कुल बिक्री में शहरी खपत की हिस्सेदारी 65- 68 प्रतिशत रहती है। जीसीपीएल के एक अधिकारी ने दूसरी तिमाही के नतीजों की घोषणा के मौके पर कहा कि हमें लगता है कि यह एक अल्पकालिक झटका है और हम विवेकपूर्ण मूल्य वृद्धि और लागत को स्थिर करके मार्जिन को ठीक कर लेंगे। सिंथोल, गोदरेज नंबर- वन, हिट जैसे उत्पाद बेचने वाली जीसीपीएल ने भारत में तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और उपभोक्ता मांग में कमी के बावजूद एक स्थिर तिमाही प्रदर्शन किया है। खास बात यह है कि ग्रामीण बाजार, जो पहले पीछे थे ने शहरी बाजारों की तुलना में अपनी वृद्धि की रफ्तार को कायम रखा है। एक अन्य एफएमसीजी कंपनी डाबर इंडिया ने भी कहा कि सितंबर तिमाही में मांग का माहौल चुनौतीपूर्ण था, जिसमें उच्च खाद्य मुद्रास्फीति और शहरी मांग में कमी’ शामिल थी। डाबर च्यवनप्राश, पुदीन हरा और रियल जूस बनाने वाली कंपनी ने तिमाही के दौरान मुनाफे में 17.65 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है। और यह 417.52 करोड़ रुपये रहा है। इस दौरान कंपनी की परिचालन आय 5.46 प्रतिशत घटकर 3,028.59 करोड़ रुपये रही है। हाल ही में नेस्ले इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी एफएमसीजी क्षेत्र में गिरावट पर चिंता जताई और कहा कि मध्यम खंड दबाव में है क्योंकि उच्च खाद्य मुद्रास्फीति ने घरेलू बजट को प्रभावित किया है। खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि के बारे में उन्होंने कहा कि फल और सब्जियों तथा तेल की कीमतों में तेज उछाल आया है। अगर कंपनियों के लिए कच्चे माल की लागत का प्रबंधन मुश्किल हो जाएगा तो इससे कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। जहां तक कॉफी और कोको की कीमतों का सवाल है, हम खुद एक मुश्किल स्थिति का सामना कर रहे हैं। नेस्ले इंडिया के पास मैगी, किट कैट और नेस्कैफे जैसे ब्रांड का स्वामित्व है। कंपनी की बिक्री वृद्धि मामूली 1.2 प्रतिशत रही है। टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लि. (टीसीपीएल) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी कहा कि शहरी क्षेत्रों में उपभोक्ता खर्च प्रभावित हुआ है। सितंबर तिमाही के लिए कंपनी के नतीजों की घोषणा के मौके पर उन्होंने कहा कि मेरा मानना है खाद्य मुद्रास्फीति शायद हमारी सोच से अधिक है और इसका प्रभाव कहीं अधिक है। एचयूएल के एक प्रमुख अधिकारी ने कहा कि इस तिमाही में बाजार की मात्रा वृद्धि सुस्त रही है। स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है कि हाल की तिमाहियों या तिमाही में शहरी वृद्धि प्रभावित हुई है। ग्रामीण क्षेत्र में धीमी वृद्धि जारी है और अब पिछली कुछ तिमाहियों से यह शहरी क्षेत्र से आगे है और इस बार भी शहरी क्षेत्र से आगे है। एचयूएल के पास सर्फ, रिन, लक्स, पॉन्ड्स, लाइफबॉय, लक्मे, ब्रुक बॉन्ड, लिप्टन और हॉर्लिक्स जैसे ब्रांड का स्वामित्व है। सितंबर तिमाही में एचयूएल के मुनाफे में 2.33 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। इसी तरह मैरिको ने भी मांग में सालाना आधार पर ग्रामीण क्षेत्र में शहरी क्षेत्र की तुलना में दोगुना वृद्धि दर्ज की है। एक अन्य एफएमसीजी कंपनी आईटीसी ने लागत में बढ़ोतरी की वजह से मार्जिन में 0.35 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है।