
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि उनका वोकल फॉर लोकल अभियान अब रंग ला रहा है क्योंकि भारतीय उत्पाद वैश्विक हो रहे हैं और दुनिया भर में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। मोदी ने एनएक्सटी सम्मेलन में न्यूजएक्स वर्ल्ड चैनल के उद्घाटन के अवसर पर कहा कि दुनिया दशकों तक भारत को अपने बैक ऑफिस के रूप में देखती रही, लेकिन देश अब दुनिया के कारखाने के रूप में उभर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब भारत कार्यबल नहीं, बल्कि एक विश्व शक्ति है। पीएम मोदी ने कहा कि देश सेमीकंडक्टर और विमानवाहक पोत बना रहा है तथा इसके मखाना और बाजरा जैसे सुपरफूड (न्यूनतम कैलोरी और अधिकतम पोषक तत्व वाले खाद्य पदार्थ), आयुष उत्पाद तथा योग को दुनिया भर में अपनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत एक प्रमुख ऑटोमोबाइल उत्पादक बन गया है और इसका रक्षा निर्यात बढ़ रहा है। मोदी ने कहा कि भारत को बिना किसी लीपा-पोती के वैसा ही पेश किया जाना चाहिए जैसा वह है । उन्होंने कहा कि इसे किसी तरह के दिखावे की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि देश की असली कहानियां दुनिया तक पहुंचनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार का तीसरी बार फिर से चुना जाना लोगों के भरोसे को दर्शाता है । उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत का नया वैश्विक समाचार चैनल देश की उपलब्धियों को विदेशों तक ले जाएगा।उन्होंने कहा कि दुनिया 21वीं सदी में भारत की ओर देख रही है और देश लगातार सकारात्मक खबरें पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत अब कई वैश्विक पहलों का नेतृत्व कर रहा है। उन्होंने हाल में एआई (कृत्रिम मेधा) शिखर सम्मेलन की सह- मेजबानी और जी-20 की भारत की अध्यक्षता का जिक्र किया। पीएम मोदी ने महाकुंभ का जिक्र करते हुए कहा कि इसने कार्यक्रमों का आयोजन करने के भारत के कौशल और नवोन्मेष को उजागर किया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने कई अप्रचलित कानूनों को निरस्त कर दिया है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के एक कानून के तहत 10 या उससे अधिक लोगों के नृत्य करने को अपराध माना गया था और यह कानून तब तक लागू रहा जब तक कि उनकी सरकार ने इसे निरस्त नहीं कर दिया। प्रधानमंत्री ने लुटियन जमात और जनहित याचिका के ठेकेदार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वे हर चीज के लिए अदालत जाते हैं, लेकिन ऐसे कानून पर चुप्पी साधे रहते हैं। उन्होंने कहा कि तब वे आजादी के बारे में नहीं सोचते थे।
