पेरिस ओलंपिक में भारत की एकमात्र महिला जूडो खिलाड़ी तूलिका मान अपना आदर्श अर्जेंटीना के स्टार फुटबॉलर लियोनन मेसी को मानती हैं। तूलिका ने अपनी रैंकिंग के आधार पर पेरिस 2024 में जगह बनाकर अपनी मां का सपना पूरा किया था हालांकि वह महिलाओं के 78 किग्रा भार वर्ग में शुरुआती दौर में ही क्यूबा की इडालिस ओर्टिज़ से हार के साथ ही बाहर हो गयीं थीं। इससे पहले सुशीला देवी टोक्यो 2020 में जूडो में भारत की एकमात्र प्रतिभागी थीं, लेकिन वह भी महिलाओं के 48 किग्रा वर्ग में शुरुआती दौर से आगे नहीं बढ़ सकी थीं। मेसी की शांत रहने की क्षमता और मैच से पहले एक कोने में बैठकर अपने पर ध्यान करने की आदत से तूलिका बेहद प्रभावित थीं। इन आदतों का पालन करने के कारण ही वह एक बेहतर जूडोका बनने में सफल रही हैं। नेशनल जूनियर लेवल पर सिल्वर मेडल जीतने वाली तूलिका के करियर की सही मायनों में शुरुआत हुई 2018 में, जब उन्होंने जयपुर में कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में जीत हासिल की थी। अगले ही साल उन्होंने फिर से कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप जीती और साउथ एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल भी अपने नाम किया। साल 2022 में बर्मिंघम में कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल जीतना उनके करियर का सबसे बड़ा मोड़ साबित हुआ । इसने उनके करियर को जबरदस्त तेजी दी पर वह उस मैच के बाद चोटिल भी हो गई थीं । यह चोट तूलिका के लिए आसान नहीं थी । जूडो प्लेयर होने के नाते उनको हमेशा डर रहता था कि चोट उनसे इस खेल को छीन न ले। तब उनके कोच ने समझाया था कि अगर बॉडी का निचला हिस्सा चोटिल हुआ है तो ऊपर के हिस्से की ट्रेनिंग करो और अगर ऊपर चोट लगे तो निचले हिस्से की ट्रेनिंग करते रहो। जिससे अभ्यास कभी न छूटे। मेसी को फॉलो करना तूलिका के लिए लाभदायक रहा। उन्होंने धैर्य से रिकवरी टाइम को अच्छे रिहैबिलिटेशन में बिताया। उसके बाद तूलिका ने राष्ट्रीय खेलों में स्वर्ण पदक जीता। जूडो में शरीर को मजबूत करने के लिए फिजिकल ट्रेनिंग की जाती है तो मेंटल ट्रेनिंग भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है। मानसिक तौर पर फिट रहने के लिए तूलिका योग करती हैं। तूलिका मान पेरिस 2024 ओलंपिक में भारत की एकमात्र जूडो खिलाड़ी थीं। उन्होंने अभी महज 25 साल की तूलिका से भारत को आगे काफी उम्मीद है।