नई दिल्ली। एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में यूएस फेडरल रिजर्व की ओर से नीतगत ब्याज दरों में 50 आधार अंकों (बीपीएस) की कटौती के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) भी इसी तरह के कदम पर विचार कर सकता है, लेकिन इस साल ऐसा होने के आसार कम हैं। रिपोर्ट के अनुसार संभावित रूप से फरवरी 2025 तक दर में भारत का केंद्रीय बैंक कटौती की घोषणा कर सकता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति जिसे हम खुदरा महंगाई दर कहते हैं अगस्त 2024 में सालाना आधार पर 3.65 प्रतिशत के करीब पहुंचते हुए पांच साल के निचले स्तर पर आ गई है। रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2024 में आरबीआई की ओर से किसी भी दर कटौती की उम्मीद कम है। अब तक के अनुमानों के अनुसार 2025 की शुरुआत में संभवत: फरवरी में दर कटौती का फैसला लिया जा सकता है। बीते बुधवार को भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन सी. श्रीनिवासुलु शेट्टी ने भी साक्षात्कार में ऐसा ही अनुमान जताया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकिंग क्षेत्र के लिए तरलता की चुनौतियां बनी रहेंगी क्योंकि सरकारी नकदी शेष धीरे- धीरे बैंकिंग प्रणाली से बाहर निकल रही है। सितंबर और अक्तूबर में मुद्रास्फीति में अपेक्षित उछाल के बावजूद, आने वाले महीनों में सीपीआई मुद्रास्फीति के 5 प्रतिशत से नीचे या उसके करीब रहने का अनुमान है। पूरे वित्त वर्ष 2024-25 के लिए औसत मुद्रास्फीति 4.6 प्रतिशत से 4.7 प्रतिशत के बीच रहने की उम्मीद है। इस तरह, यह आरबीआई के 4-6 प्रतिशत के लक्ष्य सीमा के भीतर रहेगी।