कुर्मी ने आज मीडिया को दिए गए बयान में गिब्बन अभयारण्य के पास तेल अन्वेषण को लेकर हो रहे हालिया प्रदर्शनों की कड़ी आलोचना की। उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर भ्रामक जानकारी फैलाने और प्रमुख मुद्दों से ध्यान भटकाने का आरोप लगाया। कुर्मी ने प्रदर्शनकारियों के इरादों पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या उन्होंने कभी अभयारण्य की रक्षा के लिए कोई ठोस कदम उठाया है, जैसे कि एक भी पेड़ लगाना। उन्होंने विशेष रूप से आरटीआई कार्यकर्ता रोहित चौधरी को निशाने पर लेते हुए कहा कि तेल और गैस अन्वेषण पर उनके द्वारा साझा की गई जानकारी भ्रामक है। विधायक ने कहा कि जहां एक ओर असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने लोकप्रिय अरुणोदोई 3.0 योजना का शुभारंभ किया। वहीं यह प्रदर्शन ध्यान भटकाने और कांग्रेस सहित राजनीतिक नेताओं द्वारा किए गए व्यापार घोटालों को छिपाने का एक प्रयास प्रतीत होता है। कुर्मी ने गिब्बन अभयारण्य के आसपास के पारिस्थितिकी – संवेदनशील क्षेत्र (ईएसजेड) पर जारी गजट अधिसूचना का जिक्र करते हुए पूछा कि उस समय कोई आपत्ति क्यों नहीं उठाई गई, लेकिन अब कार्यकर्ता इस मुद्दे को गुमराह करने और भ्रष्ट आचरण को छिपाने के लिए उठा रहे हैं। तेल अन्वेषण की राज्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए और भारत सरकार तथा असम सरकार की इस राष्ट्रीय प्राथमिकता के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराते हुए, कुर्मी ने जनता को आश्वस्त किया कि यह अन्वेषण न तो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएगा और न ही गिब्बन को । उन्होंने कहा कि न तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और न ही मुख्यमंत्री शर्मा ऐसी किसी परियोजना की अनुमति देंगे, जो प्राकृतिक आवास से समझौता करे । कुर्मी ने स्पष्ट किया कि केयर्न ऑयल एंड गैस वेदांता का तेल ड्रिलिंग स्थल गिब्बन अभयारण्य से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, न कि उसके भीतर। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि अगर परियोजना के तहत कोई पेड़ काटे जाते हैं, तो केयर्न ऑयल एंड गैस, वेदांता इसकी क्षतिपूर्ति के उपाय करेगा। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने एक मानचित्र भी दिखाया, जिसमें ड्रिलिंग स्थल और गिब्बन अभयारण्य के बीच की हवाई दूरी 13 किलोमीटर है। कुर्मी का यह बयान कार्यकर्ताओं द्वारा फैलाए जा रहे बढ़ते भ्रामक सूचनाओं के बीच आया है, जिसमें कहा जा रहा है कि तेल ड्रिलिंग गिब्बन के आवास को प्रभावित करेगी। कुर्मी के सख्त रुख ने असम सरकार और भारत सरकार दोनों के जिम्मेदार अन्वेषण पर दिए गए बयान को मजबूत किया, यह कहते हुए कि यह परियोजना अभयारण्य या उसके वन्यजीवों को कोई खतरा नहीं है ।