गुवाहाटी ( हिंस) । गोवा पुलिस के नवनियुक्त प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए आए जवानों के साथ आज असम के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) जीपी सिंह ने अपने अनुभव शेयर किए। उन्होंने आज 700 नए रंगरूटों – 569 पुरुषों और 131 महिलाओं को इस दौरान कई प्रेरक बातें कहीं। सन् 2013 के बाद गोवा पुलिस की यह पहली भर्ती थी। ज्ञात हो कि गोवा पुलिस की पहली, दूसरी और तीसरी भारतीय रिजर्व बटालियन में शामिल होने के लिए चुने गए ये रंगरूट 43 सप्ताह के कठोर प्रशिक्षण कार्यक्रम से गुजरते हुए एक परिवर्तनकारी यात्रा पर यहां से निकलेंगे। डीजीपी ने रंगरूटों का स्वागत करते हुए गर्व व्यक्त किया कि जिस पेशे में वे प्रवेश कर रहे हैं वह अत्यंत महत्वपूर्ण है। डीजीपी ने कहा कि आप सिर्फ पुलिस बल में शामिल नहीं हो रहे हैं, आप एक विरासत का हिस्सा बन रहे हैं। एक ऐसा बल जो सम्मान, साहस और न्याय के प्रति प्रतिबद्धता के साथ काम करता है। उल्लेखनीय है कि असम के देरगांव स्थित लाचित बरफूकन पुलिस अकादमी में इनके लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जहां रंगरूटों में अनुशासन, निष्ठा, शारीरिक फिटनेस और हथियारों में दक्षता जैसे आवश्यक गुणों का विकास किया जाएगा। डीजीपी ने पुलिस की वर्दी पहनने की बड़ी जिम्मेदारी पर प्रकाश डाला। रंगरूटों को याद दिलाया कि वे कानून और व्यवस्था का चेहरा होंगे, जिन्हें लोगों के जीवन, अधिकारों और संपत्ति की रक्षा करने का काम सौंपा गया है। डीजीपी ने उन मूल्यों पर जोर दिया जो रंगरूटों को उनके पूरे करियर में मार्गदर्शन करेंगे। जिसमें सेवा में गर्व, राष्ट्र के प्रति वफादारी और कर्तव्य में निःस्वार्थता शामिल है। उन्होंने शारीरिक और मानसिक फिटनेस के साथ-साथ सौहार्द के महत्व को भी रेखांकित किया । डीजीपी ने संबोधन का समापन साहस, ईमानदारी और कानून के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के साथ सेवा करने के आह्वान के साथ समाप्त हुआ। डीजीपी ने रंगरूटों से सार्वजनिक सेवा के उच्चतम् आदर्शों को बनाए रखने का आग्रह किया, उन्हें याद दिलाया कि गोवा के लोग सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करने के लिए उन पर भरोसा कर रहे हैं। इस दौरान डीजीपी जीपी सिंह ने नवनियुक्त मणिपुर पुलिस कांस्टेबलों को भी संबोधित किया, जो लाचित बरफूकन पुलिस अकादमी, देरगांव में बुनियादी प्रशिक्षण ले रहे हैं।