राज्यपाल आचार्य ने डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय के 23वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया

राज्यपाल आचार्य ने डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय के 23वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया
राज्यपाल आचार्य ने डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय के 23वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया

गुवाहाटी । असम के राज्यपाल श्री लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने कहा कि जब भारत अपनी स्वतंत्रता के 100 वें वर्ष में प्रवेश करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है, तब देश ज्ञान, शोध एवं नवाचार की दिशा में आगे बढ़ने के लिए अमृत काल में गहन प्रयास कर रहा है। डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय इस क्षेत्र का दूसरा सबसे पुराना विश्वविद्यालय है, इसलिए उसे अत्याधुनिक शोध एवं नवाचार को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए, ताकि देश का विकसित भारत की ओर निर्बाध संक्रमण हो सके। डिब्रूगढ़ में आज डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय के 23वें दीक्षांत समारोह में बोलते हुए उन्होंने कहा कि छात्र ही विकसित भारत के मुख्य वास्तुकार हैं, क्योंकि उन्हें विकसित भारत के प्रमुख उत्प्रेरक के रूप में ज्ञान, शोध एवं नवाचार के माध्यम से खुद को सशक्त बनाने की आवश्यकता है। राज्यपाल ने कहा कि देश के लिए आने वाले दो दशक कड़ी मेहनत और समर्पण की मांग करते हैं, क्योंकि छात्रों को अपने पोषित सपने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और देश के उज्ज्वल भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ संकल्प के साथ काम करना चाहिए । उन्होंने कहा कि डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों को आने वाले दिनों में भारत के वैश्विक कद को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। देश के भविष्य को आकार देने वाली निरंतर विकसित होती तकनीक का जिक्र करते हुए श्री आचार्य ने कहा कि तकनीक के विकास के साथ ही रोजगार के नए अवसर भी उभर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों द्वारा अपनाई जाने वाली शिक्षा प्रणाली को अपने छात्रों को देश के विकास में तेजी लाने के लिए तकनीक का उपयोग करने के लिए सशक्त बनाना चाहिए। इस संदर्भ में उन्होंने समाज के लाभ के लिए पारंपरिक शिक्षण विधियों को आधुनिक तकनीक के साथ एकीकृत करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि असम सरकार अपने युवाओं की क्षमता निर्माण के लिए नवीनतम  तकनीकी प्रगति के अनुरूप अपने दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए कौशल आधारित शिक्षा को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रही है। शिक्षा क्षेत्र को मजबूत करने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रमुख हस्तक्षेपों के बारे में बताते हुए राज्यपाल ने कहा कि राज्य सरकार ने चाय बागान श्रमिकों के बच्चों के लिए मॉडल स्कूल स्थापित करने, पुराने शैक्षणिक संस्थानों का जीर्णोद्धार करने, स्कूलों और विश्वविद्यालयों में बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का विकास करने और राज्य में कौशल विकास के लिए कई मेडिकल कॉलेज, पॉलिटेक्निक संस्थान और आईटीआई केंद्र खोलने जैसी कुछ प्रमुख पहल की हैं। राज्यपाल ने कहा कि भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है । इसे हासिल करने के लिए देश को ऐसे नेताओं की जरूरत है जो न सिर्फ तकनीकी रूप से दक्ष हों बल्कि दूरदर्शी दृष्टिकोण और नैतिक मूल्यों से भी संपन्न हों। ये नेता देश को 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य की ओर ले जाएंगे। राज्यपाल ने इस अवसर पर स्नातकों से अपने कौशल और ज्ञान के साथ प्रौद्योगिकी, विज्ञान, स्वास्थ्य सेवा और नवाचार जैसे विभिन्न क्षेत्रों का नेतृत्व करने का आह्वान किया। उन्होंने उनसे नए उद्योग स्थापित करने और जलवायु परिवर्तन और डिजिटल परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए भी कहा। स्नातकों को बधाई देते हुए राज्यपाल ने कहा कि प्रगति का सही मापदंड व्यक्ति के कार्यों की उत्कृष्टता में निहित है । इस सिद्धांत को कायम रखने और दृढ़ निश्चय के साथ आगे बढ़ने के लिए व्यक्ति की इच्छा शक्ति और लचीलेपन की जरूरत होती है। यह बेहद गर्व की बात है कि हमारी बेटियां दृढ़ता के साथ रिकॉर्ड संख्या में डिग्री हासिल कर रही हैं – जो न केवल राष्ट्र निर्माण में उनके अमूल्य योगदान को दर्शाती है बल्कि भारत की विकसित होती दृष्टि की ताकत को भी दर्शाती है।

राज्यपाल आचार्य ने डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय के 23वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया
राज्यपाल आचार्य ने डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय के 23वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया