राजभवन में मनाया गया सशस्त्र सेना झंडा दिवस

गुवाहाटी (हिंस)। भारतीय सशस्त्र बलों की वीरता और बलिदान को श्रद्धांजलि देने के लिए राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने शनिवार को राजभवन में आयोजित एक समारोह में भारतीय सशस्त्र बलों के सदस्यों को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने अपने जीवन की कीमत पर राष्ट्र के सम्मान की रक्षा की। उल्लेखनीय है कि सशस्त्र सेना झंडा दिवस देश के सैनिकों, नौसैनिकों और वायुसैनिकों को सम्मानित करने के लिए 7 दिसंबर को मनाया जाने वाला एक वार्षिक कार्यक्रम है। इस अवसर पर अपने संबोधन में राज्यपाल आचार्य ने कहा कि वह भारतीय सशस्त्र बलों के उन वीर शहीदों को अपनी हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिन्होंने राष्ट्र के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। राज्यपाल उन बहादुर सैनिकों को हार्दिक बधाई देते हैं, जिन्होंने युद्ध और आतंकवाद विरोधी अभियानों में अनुकरणीय साहस का परिचय दिया है उन सेवारत सैनिकों को भी नमन करते हैं, जो सभी परिस्थितियों में सतर्कता और निष्ठा से हमारी मातृभूमि की रक्षा करते हैं। राज्यपाल ने दोहराया कि सशस्त्र सेना झंडा दिवस केवल सैनिकों के बलिदान का सम्मान करने का दिन नहीं होना चाहिए, बल्कि घायल कर्मियों और शहीदों के परिवार के सदस्यों के पुनर्वास सहित उनके कल्याण के प्रति समाज की जिम्मेदारी की याद दिलाने वाला दिन होना चाहिए। उन्होंने राष्ट्र के प्रति उनकी बेमिसाल सेवा के लिए कृतज्ञता की सच्ची अभिव्यक्ति के रूप में सशस्त्र बलों के परिवारों का समर्थन करने के महत्व पर प्रकाश डाला । सशस्त्र बलों की वीरता और समर्पण पर विचार करते हुए राज्यपाल ने कहा कि हमारे सशस्त्र बलों का साहस और निस्वार्थता शब्दों से परे है। चाहे युद्ध संबंधी चुनौतियों का सामना करना हो, आंतरिक विद्रोहों का प्रबंधन करना हो या सीमा पार आतंकवाद का मुकाबला करना हो, उनका योगदान हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करता है। उनकी सेवा हमें वफादारी, बहादुरी और कर्तव्य के प्रति समर्पण के मूल्यों को संजोने और बनाए रखने के लिए प्रेरित करती है। सरकार द्वारा की गई पहलों पर प्रकाश डालते हुए राज्यपाल ने वन रैंक, वन पेंशन के ऐतिहासिक कार्यान्वयन की सराहना की, जिसे उन्होंने भूतपूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को लाभ पहुंचाने वाला एक परिवर्तनकारी कदम बताया। राज्यपाल ने कहा कि यह योजना, जो अब 10 वर्ष पूरे कर रही है, सशस्त्र लों के कल्याण के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है। आचार्य ने सैनिक कल्याण में असम के अनुकरणीय प्रयासों की भी सराहना की और कहा कि सैनिक कल्याण निदेशालय द्वारा लगभग 41,656 सेवानिवृत्त सैनिकों, 9,954 युद्ध विधवाओं और 103 विकलांग सैनिकों को सहायता प्रदान की गई है । 2,140 पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को 1.13 करोड़ की वित्तीय सहायता दी गई है। शहीद परिवारों के लिए अनुग्रह राशि 20 लाख रुपए से बढ़ाकर 50 लाख रुपए कर दी गई है। 2 प्रतिशत के नौकरी आरक्षण ने पूर्व सैनिकों के लिए महत्वपूर्ण रोजगार के अवसर प्रदान किए हैं, जिसमें 2024 में एपीएससी के माध्यम से 26 नियुक्तियां और असम सीमा पुलिस में 320 भर्तियां शामिल हैं। 2023- 24 में 3,954 छात्रों को 1.7 करोड़ की छात्रवृत्ति प्रदान की गई, साथ ही पूर्व सैनिकों के बच्चों को मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में प्रवेश दिया गया। उन्होंने इस अवसर पर सभी नागरिकों से सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष में उदारतापूर्वक योगदान देने की अपील की तथा दोहराया कि इस प्रकार का योगदान सशस्त्र बलों और उनके परिवारों के प्रति राष्ट्र के सम्मान का प्रतीक है। इस अवसर पर लोक

राजभवन में मनाया गया सशस्त्र सेना झंडा दिवस
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