न्यूयॉर्क संयुक्त राष्ट्र में पहली बार विश्व ध्यान दिवस मना। यूएन में भारत के स्थायी मिशन ने 20 दिसंबर को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में प्रथम विश्व ध्यान दिवस के अवसर पर वैश्विक शांति और सद्भाव के लिए ध्यान का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में यूएन के अध्यक्ष फिलेमोन यांग, अवर महासचिव अतुल खरे और कई अन्य अधिकारियों ने भाग लिया। इस अवसर पर आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने 600 से ज्यादा उत्साही प्रतिभागियों को एक विशेष ध्यान सत्र भी दिया। यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पार्वथानेनी हरीश ने कहा कि ध्यान की प्राचीन भारतीय प्रथा के महत्व को व्यक्तिगत पूर्ति और आंतरिक शांति के साधन के रूप में रेखांकित किया, जो वसुधैव कुटुम्बकम – संपूर्ण विश्व एक परिवार है के सभ्यतागत सिद्धांत पर आधारित है। उन्होंने कहा कि विश्व ध्यान दिवस पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव में योग और ध्यान के बीच संबंध को स्वास्थ्य और कल्याण के पूरक दृष्टिकोण के रूप में स्वीकार किया है। यूएन अध्यक्ष यांग ने कहा कि ध्यान लोगों के प्रति करुणा और सम्मान पैदा करता है। इस अवसर पर अवर महासचिव अतुल खरे ने मानसिक स्वास्थ्य और ध्यान के बीच अंतर्निहित संबंध और संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों पर ध्यान के गहन प्रभाव को रेखांकित किया। श्री श्री रविशंकर ने अपने भाषण में ध्यान से जुड़े कई लाभों और आयामों पर प्रकाश डाला। बता दें कि 6 दिसंबर 2024 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस घोषित करते हुए प्रस्ताव पारित किया था। उक्त प्रस्ताव को सर्वसम्मति से अपनाने में भारत की अहम भूमिका थी। ऐसे समय में प्रस्ताव को अपनाना शांति और समग्र मानव कल्याण को बढ़ावा देने के महत्व को उजागर करता है, जब दुनिया संघर्ष और पीड़ा का सामना कर रही है।