भारतीय क्रिकेट टीम के बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल के कैच को लेकर सवाल उठ रहे हैं। यशस्वी को मैदानी अंपायर ने ऑउट नहीं दिया था पर तीसरे अंपायर ने फैसला बदल कर पेवेलियन भेज दिया। विवाद का कारण ये है कि रीयल टाइम सिनिको, जिसमें देखा जाता है कि अगर बल्ले या गेंद का कोई संपर्क हुआ है तो उसमें एक स्पाइक आएगा वहीं अगर नहीं आया है तो बल्लेबाज आउट नहीं होगा। यशस्वी के मामले में इसपर अमल नहीं किया गया। मैदानी अंपायर के फैसले को तीसरे अंपायर ने पलटते हुए कहा कि गेंद ग्लव्स से लगकर डिफ्लेक्ट हुई है। इससे नाराज भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने कहा कि तकनीक का प्रयाग हीं नहीं करें। भारतीय टीम की दूसरी पारी में जब यशस्वी जायसवाल और वॉशिंगटन सुंदर बल्लेबाजी कर रहे थे तभी एक शॉर्ट गेंद पर यशस्वी ने शॉट लगाया। इसपर गेंद और बल्ले का संपर्क नहीं हुआ लेकिन गेंदबाजी कर रहे पैट कमिंस ने की अपील की पर मैदानी अंपायर ने इसे खारिज कर दिया। इसके बाद कमिंस ने सीधे ही रिव्यू मांग जिसके बाद तीसरे अंपायर ने एंगल देखा पर कुछ अंदाज नहीं लगा। इसके अलावा रीयल टाइम सिनिको में भी कुछ हलचल दिखाई नहीं दी। बाद में एक एंगल से अंपायर ने पाया कि गेंद ग्लव्स से लगकर गयी है और उन्होंने यशस्वी को आउट दे दिया। गावस्कर ने साफ किया कि जब आपके पास पक्के सबूत नहीं है तो आप मैदानी अंपायर के फैसले को बदल नहीं सकते। उन्होंने कमेंट्री करते हुए कहा, ये नजर आ धोखा हो सकता है। अगर आप तकनीक पर विश्वास नहीं करते तो इस तकनीकि को रखिए ही मत ।