पटना। बिहार में होने वाले उपचुनाव के लिए आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रचार शुरू कर दिया है। तरारी में भाजपा उम्मीदवार के लिए प्रचार करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि 2005 से हम लोग एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं। भाजपा से हमारा शुरू से ही नाता रहा है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि आगे भी रिश्ता कायम रहेगा । हमसे दो बार गलती हो गई थी। हमने राजद के साथ सरकार बना ली। लेकिन जब वह गड़बड़ करने लगे तो मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ। मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ और हम फिर से भाजपा के साथ आ गएष इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अब कोई दाएं बाएं नहीं होगा। इतना ही नहीं, नीतीश कुमार ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी याद किया। उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया था। नीतीश ने कहा कि मैं अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में मंत्री रहा हूं। यहां-वहां कुछ गलतियां हो गई लेकिन अब हम मिलकर काम करेंगे। हम देखते थे कि कोई काम नहीं हो रहा है। उन्होंने लालू यादव और राजद पर वार करते हुए कहा कि उनकी सरकार के दौरान कोई भी शाम के बाद डर के मारे अपने घर से नहीं निकल पाता था। उनकी वजह से झड़पें होती थीं। नीतीश ने साफ तौर पर कहा कि वे केवल मुस्लिम वोट चाहते थे। लेकिन हिंदू-मुस्लिम झगड़े अधिक थे। क्या हमारे सत्ता में आने के बाद कोई झड़प हुई है ? उन्होंने कहा कि हमने हिंदू, मुस्लिम, ऊंची जाति, पिछड़ों, अति पिछड़ों, दलितों और महादलितों के लिए काम किया। हमने मुस्लिम समुदाय के लिए भी बहुत काम किया। मदरसों को सरकारी मान्यता दी गई और शिक्षकों को सरकारी स्कूल के शिक्षकों के बराबर वेतन दिया गया। वे (विपक्ष) वोट लेते रहे और कभी कुछ नहीं किया। 12 लोकसभा सांसदों के साथ, नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल (यूनाइटेड) एनडीए सरकार में भाजपा की प्रमुख सहयोगी है। इस साल जनवरी में, कुमार दो साल से भी कम समय में एनडीए में लौट आए, जब उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन को छोड़कर लालू प्रसाद की राजद से हाथ मिला लिया था। 1970 के दशक में जेपी आंदोलन के दौरान अपना राजनीतिक करियर शुरू करने वाले नीतीश कुमार ने 2013 में भाजपा के साथ 17 साल लंबे गठबंधन को समाप्त कर दिया और राजद के साथ फिर से जुड़ गए। उन्होंने 2015 का बिहार विधानसभा चुनाव राजद और कांग्रेस के साथ महागठबंधन के हिस्से के रूप में लड़ा और भारी जीत हासिल की। लेकिन गठबंधन लंबे समय तक नहीं चला और कुमार ने राजद को छोड़कर एनडीए में लौट आए। उन्होंने एनडीए के हिस्से के रूप में 2019 का लोकसभा चुनाव और 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव लड़ा। लेकिन 2022 में वह गठबंधन से बाहर हो गए और फिर से महागठबंधन में शामिल हो गए।