इंफाल। मणिपुर में लापता मैतेई शख्स की तलाश बड़े पैमाने पर की जा रही है, इसमें सेना के करीब 2000 जवान, शिकारी कुत्ते और ड्रोन की मदद से खोजबीन जारी है। सेना के अनुसार, असम के कछार जिले के मूल निवासी लैशराम कमलबाबू सिंह, जो इंफाल पश्चिम के खुखरुल में रहते थे, 57वें माउंटेन डिवीजन के लेइमाखोंग सैन्य स्टेशन में मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेज (एमईएस) के साथ काम करने वाले एक ठेकेदार के लिए कार्य पर्यवेक्षक थे। इस मामले में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा था कि वह सैन्य स्टेशन से लापता हो गए थे, उन्होंने अधिकारियों से उन्हें खोजने की जिम्मेदारी लेने को कहा था। इस मामले में मणिपुर पुलिस ने सोमवार रात सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि 25 नवंबर 2024 से लापता लैशराम कमलबाबू सिंह का पता लगाने के लिए मणिपुर पुलिस की तरफ से भारतीय सेना की सहायता से बड़े पैमाने पर संयुक्त तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। इसमें कहा गया है कि भारतीय सेना ने 2000 से अधिक सैनिकों, हेलीकॉप्टरों, ड्रोन और सेना के ट्रैकर कुत्तों का इस्तेमाल करके उसे खोजने के लिए सभी तरह की सहायता और संसाधन मुहैया कराए हैं। इसके साथ ही तकनीकी खुफिया जानकारी का उपयोग करके आगे की जांच की जा रही है। इस बीच, लैशराम कमलबाबू सिंह के लापता होने के जवाब में गठित संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) ने सैन्य स्टेशन से लगभग 2.5 किमी दूर कांटो सबल में अपना धरना जारी रखा, जहां सड़क पर बैरिकेडिंग भी की गई है। लैशराम कमलबाबू सिंह की पत्नी अकोईजम बेलारानी भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं। प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि लैशराम कमलबाबू सिंह को आतंकवादियों ने अगवा कर लिया है। कांगपोकपी जिले में मौजूद सैन्य शिविर राज्य की राजधानी इंफाल से लगभग 16 किमी दूर है और पहाड़ियों से घिरा हुआ है जहां कुकी लोग रहते हैं। पिछले साल मई में जातीय हिंसा शुरू होने के बाद लीमाखोंग के पास रहने वाले मैतेई लोग भाग गए थे, जिसमें अब तक 250 से ज़्यादा लोगों की जान जा चुकी है।