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नई दिल्ली। केंद्र सरकार खाने के तेल पर छह महीने में दूसरी बार इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने पर विचार कर रही है। सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार के इस फैसले से घरेलू तिलहन किसानों को लाभ हो सकता है क्योंकि वे तिलहन की गिरती कीमतों का सामना कर रहे हैं। इस फैसले से स्थानीय तेल और तिलहन की कीमतें बढ़ सकती हैं, जबकि विदेशी खरीद पर असर पड़ सकता है। इसका सीधा असर पाम तेल, सोया तेल और सूरजमुखी तेल की मांग पर पड़ सकता है। एक सरकारी सूत्र ने बताया कि शुल्क वृद्धि के संबंध में अंतर-मंत्रालयी परामर्श समाप्त हो गया है। सरकार द्वारा जल्द ही शुल्क बढ़ाने की उम्मीद है। एक अन्य सरकारी सूत्र ने भी कहा कि सरकार खाद्य महंगाई पर फैसले के प्रभाव को ध्यान में रखेगी। सितंबर 2024 में, भारत ने कच्चे और रिफाइंड वनस्पति तेलों पर 20 फीसदी बेसिक कस्टम ड्यूटी लगाई थी जिसके बाद कच्चे पाम तेल, कच्चे सोया तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर 27.5 फीसदी आयात शुल्क लगाया गया, जो पहले 5.5 फीसदी था, जबकि तीन तेलों के रिफाइंड ग्रेड पर अब 35.75 फीसदी इंपोर्ट टैक्स है। शुल्क वृद्धि के बाद भी, सोयाबीन की कीमतें राज्य द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य से 10 फीसदी से अधिक नीचे कारोबार कर रही हैं। व्यापारियों को यह भी उम्मीद है कि अगले महीने नए सीजन की सप्लाई शुरू होने के बाद सर्दियों में बोई जाने वाली रेपसीड की कीमतों में और गिरावट आएगी।
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