नई दिल्ली। बढ़ते चीनी टेंशन के मद्देनजर भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) ने एक नया कीर्तिमान स्थापित कर दिखाया है। अप्रैल 2000 से सितंबर 2024 के दौरान एफडीआई प्रवाह ने 1000 अरब डॉलर को पार करके 1033.40 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। यह आंकड़ा भारत को एक वैश्विक निवेशकों के लिए मुख्य निवेश स्थल के रूप में स्थिर रखता है। इस अवधि के दौरान एफडीआई से मायरीशस, सिंगापुर, अमेरिका, नीदरलैंड, जापान, ब्रिटेन, यूएई, और कई अन्य देशों से निवेश आया। इन निवेशों का मुख्य धारा वाणिज्य, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर, दूरसंचार, आयात-निर्यात, औद्योगिक विकास, ऑटोमोबाइल, रसायनिक उत्पादन, और दवा क्षेत्र में था । इस उच्च वृद्धि के साथ भारत में एफडीआई आगे बढ़ने की उम्मीद है। दुनिया भर में कई बड़ी कंपनियां अपने व्यापार की राह देख भारत को पसंद कर रही हैं। आगे बढ़ते भारत को धीरे- धीरे एफडीआई में सक्रिय होने के संकेत हैं, जिनके पीछे चीन के राजनीतिक सीने में उठाए गए उत्पीड़न का भय का। यह वाणिज्यिक सेवाओं में सुधार, उत्पादक सेक्टर में वृद्धि, और व्यवसायिक पर राष्ट्रीय कारोबार में व्यापारिक आकार में हो सकता है। यह उम्मीद की जा रही है कि दुनिया भर में कंपनियां चीन से हटकर, भारत को अपनी गतिशीलता का लाभ उठाएंगी, जिससे दोनों देशों के बीच एक नए एकांकी निकलेगा। इस तरह के उत्पीड़न से अनुमानित है कि भारत में एफडीआई में और भी प्रगति होगी।