भारत को वैश्विक नेतृत्व के लिए आगे आना चाहिए : सोनोवाल
नई दिल्ली (हि.स.)। केंद्रीय आयुष मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने शुक्रवार को कहा कि भारत को समग्र स्वास्थ्य देखभाल दृष्टिकोण के साथ वैश्विक नेतृत्व लेने के लिए आगे आना चाहिए। दुनिया भर के निवेशक आयुष क्षेत्र में निवेश करने के लिए उत्साहित हैं और हमें इस अवसर का लाभ उठाने के लिए तेजी से काम करना चाहिए। आयुष मंत्री सोनोवाल अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) के छठे स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे । इस अवसर पर सर्वानंद सोनोवाल ने स्वर्गीय पद्म विभूषण वैद्य बृहस्पति देव त्रिगुण की प्रतिमा का अनावरण किया। आयुष मंत्री सोनोवाल मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आयुष के क्षेत्र को न केवल अलग पहचान मिली है बल्कि विश्व में अब पारंपरिक चिकित्सा पद्धति और औषधियों के लिए भारत एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में उभरा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अथक प्रयासों और मेहनत से आयुष न केवल देश बल्कि विश्व के आठ सौ करोड़ लोगों तक पहुंच बना रहा है। भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के लाभ को देखते हुए मेडिकल टूरिज्म का तेजी से विकास हो रहा है। उन्होंने बताया कि आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय ने अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के विस्तार के लिए 12 एकड़ भूमि आवंटित की है। यह समर्थन समग्र स्वास्थ्य देखभाल के लिए सेवाओं को उन्नत करने के लिए एआईआईए द्वारा किए गए प्रयासों को प्रोत्साहित करेगा । इस समारोह में आयुष राज्य मंत्री मुंजापारा महेंद्रभाई कालूभाई ने अपने संबोधन में कहा कि पिछले छह वर्षों में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान उत्कृष्टता, नवाचार और हमारी पुरानी परंपराओं और आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल की मांगों के बीच एक पुल के रूप में विकसित हुआ है। इसने लगातार आयुर्वेदिक अनुसंधान और शिक्षण को आगे बढ़ाया है। साल 2017 में एआईआईए के उद्घाटन के साथ भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का सपना सच हो गया है। एआईआईए की निदेशक प्रोफेसर तनुजा नेसारी ने कहा कि यह संस्थान एक उल्लेखनीय मील का पत्थर है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आयुष मंत्रालय के अटूट समर्थन के बिना संभव नहीं होता। तनुजा नेसारी ने बताया कि स्थापना दिवस समारोह के मौके पर एआईआईए और हिंदुस्तान साल्ट, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और हार्टफुलनेस इंस्टीट्यूट जैसे विभिन्न प्रसिद्ध संस्थानों के बीच छह समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए। संस्थान को उन्नत अनुसंधान के लिए एक नई आणविक जीवविज्ञान प्रयोगशाला, पांडुलिपि इकाई और उत्कृष्टता केंद्र मिल गया है। यह एआईआईए के अनुसंधान उन्नति में सफलता का एक नया मार्ग प्रशस्त करेगा। उल्लेखनीय है कि एआईआईए की स्थापना 17 अक्तूबर, 2017 को प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद के ज्ञान और अभ्यास के प्रचार और उन्नति के लिए की गई थी। पिछले छह वर्षों में संस्थान में 17 लाख से अधिक मरीजों ने यहां इलाज कराया। यह न केवल भारत में, बल्कि वैश्विक स्तर पर आयुर्वेदिक शिक्षा और अनुसंधान का केंद्र बन गया है।
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