
प्रयागराज, (हि.स.) । भारतवर्ष के खनन प्रभावित भूमि को वानिकी के माध्यम से सुधार हेतु प्रयासों के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन हुआ। पारिस्थितिक पुनर्स्थापन केन्द्र, प्रयागराज एवं सतत भूमि प्रबंधन पर उत्कृष्टता केन्द्र (सीओई- एसएलएम) देहरादून के संयुक्त तत्वावधान में कोल इण्डिया लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारियों हेतु आयोजित किया गया। प्रथम तकनीकी सत्र में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. उमेश कुमार सिंह ने सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भूमि क्षरण तटस्थता की भूमिका विषय पर व्याख्यान दिया। प्रशिक्षण कार्यशाला के प्रतिभागी प्रशिक्षुओं को न्यू कैंट, प्रयागराज के पर्यावरण प्रयोगात्मक एवं संरक्षण क्षेत्र में गंगा टास्क फोर्स द्वारा संचालित गतिविधियों का भ्रमण कराया गया। सीओई के वरिष्ठ वैज्ञानिक संजीव कुमार एवं गौरव मिश्रा ने वातार्लाप सत्र का संयोजन किया। द्वितीय तकनीकी सत्र में डॉ. दीपक लाल, प्रो शुआट्स के भू- स्थानिक प्रौद्योगिकी केन्द्र ने भूमि क्षरण के आकलन और उसकी बहाली में भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) तथा रिमोट सेंसिंग की भूमिका से अवगत कराया। केन्द्र प्रमुख डॉ. संजय सिंह ने खनन क्षेत्रों का वनीकरण पर व्याख्यान प्रस्तुत किया । इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग के डॉ. पंकज श्रीवास्तव ने पारिस्थितिक बहाली एवं मृदा कार्बन संचयन अवस्था पर प्र- काश डाला। उष्णकटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान, जबलपुर से आए डॉ. अविनाश जैन ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड की तैयारी और उपयोगह्न पर व्याख्यान दिया।
