भुवनेश्वर। असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने गुरुवार को कहा कि भारतीयों और घुसपैठियों को अलग करने के लिए एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) जैसा दस्तावेज तैयार करना जरूरी है। पुरी में जगन्नाथ मंदिर के दर्शन के बाद शर्मा ने कहा कि असम सरकार ने फैसला किया है कि राज्य में आधार कार्ड प्राप्त करने के लिए किसी भी व्यक्ति को अपना नाम एनआरसी में पंजीकृत कराना होगा। अगर आवेदक का नाम एनआरसी में नहीं होगा तो उसे आधार कार्ड नहीं मिलेगा। शर्मा ने कहा कि एनआरसी जैसे दस्तावेज तैयार किए जाने चाहिए ताकि आसानी से पहचान की जा सके कि कौन भारतीय है और कौन घुसपैठिया है । उन्होंने कहा कि असम और पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश सीमा पर बाड़ लगाना मुश्किल है क्योंकि यहां कई नदियां हैं। तकनीक का इस्तेमाल करके सीमा को सुरक्षित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार असम और त्रिपुरा में सीमा सुरक्षा के लिए तकनीकी प्रयास कर रही है, लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार सहयोग नहीं कर रही है। अगर बंगाल सहयोग करे, तो घुसपैठ रोकी जा सकती है। ओडिशा में बीजद के भविष्य को लेकर शर्मा ने कहा कि बीजद का युग अब समाप्त हो गया है और भाजपा सरकार कम से कम 50 साल तक ओडिशा में रहेगी। बांग्लादेश में हिंदूओं पर हो रहे हमलों को लेकर शर्मा ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक है। मुझे उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश में हिंदूओं की सुरक्षा के लिए कूटनीतिक कदम जरूर उठाएंगे। प्रधानमंत्री ने विदेश सचिव को बांग्लादेश भेजा था। उम्मीद है कि इस प्रयास से देश में शांति बहाल होगी। शर्मा ने कहा कि राहुल गांधी और कांग्रेस कभी हिंदू समुदाय के साथ खड़ी नहीं रही। आगे भी वे हिंदूओं के साथ खड़े नहीं होंगे। एक राष्ट्र, एक चुनाव को लेकर शर्मा ने कहा कि असम में विधानसभा और संसद के चुनाव अलग-अलग समय पर हो रहे हैं। चुनावों के दौरान विकास कार्य आमतौर पर लगभग पूरे साल बाधित रहते हैं। इसलिए एक राष्ट्र-एक चुनाव जरूरी है। इसके लिए संसद के दोनों सदनों में दो तिहाई बहुमत से संविधान संशोधन की जरूरत है। प्रधानमंत्री ऐसा जरूर करेंगे।