कुशीनगर, (हि.स.) । बौद्ध सर्किट के प्रमुख मार्गों पर पर्यटकों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार आगे आई है। केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने इसके लिए 17.93 करोड़ की लागत वाली तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक विरासत संवर्धन अभियान प्रसाद परियोजना बनाई है। इसके लिए राज्य सरकार ने सर्वेक्षण शुरू कर दिया है। चयनित वाराणसी- गया,लखनऊ-अयोध्या, गोरखपुर – कुशीनगर, कुशीनगर- गया मार्ग पर पर्यटन आधारित मूलभूत सुविधाओं की स्थापना के लिए बनी इस योजना की धनराशि से तीर्थयात्रियों को सड़क पर उच्चस्तरीय प्रसाधन, कैफेटेरिया, साइनेज, वाहन मेंटीनेंस, पार्किंग, पार्क, आकस्मिक चिकित्सा आदि की सुविधाएं उपलब्ध कराई जायेंगी । ताकि पर्यटक यात्रा के दौरान रिफ्रेश हो सके और उनकी यात्रा आरामदायक व सुगम हो । इस दौरान पर्यटक स्थानीय रहन सहन, भाषा, बोली और संस्कृति और क्षेत्र विशेष के भूगोल से भी अवगत हो देश की विविधता को जान समझ सकेंगे। अन्तर्राष्ट्रीय महत्व की बौद्ध तीर्थस्थली कुशीनगर में बिहार के प. चंपारण जिले स्टेट हाइवे और गोपालगंज जिले नेशनल हाइवे के रास्ते से बौद्ध देशों के पर्यटकों का आवागमन होता है। इन दोनों मार्गों पर सड़क के एक सौ मीटर भीतर सुविधाएं पीपीपी माडल यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के अंतर्गत सुविधाएं विकसित की जायेंगी । इसके चयन के लिए मानक पूरा करने वाले ढाबा या रेस्टोरेंट प्रबंधकों से प्रारंभिक बातचीत की जा रही है। इस संबंध में क्षेत्रीय पर्यटक अधिकारी रविंद्र कुमार ने बताया की योजना अभी प्रारंभिक दौर में है। सर्वेक्षण की कारवाई चल रही है। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर्यटन निदेशालय आगे की कार्यवाही करेगा। इनसेट- योजना से होगी सहूलियतः बौद्ध भिक्षु अशोक ने बताया कि योजना से पर्यटकों को बहुत सहूलियत होगी । बौद्ध सर्किट के कुशीनगर, सारनाथ, बोधगया, श्रावस्ती, संकिसा, कपिलवस्तु और नेपाल का लुंबनी सड़क मार्ग से एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। किसी एक स्थान विशेष की यात्रा के लिए पर्यटक सीधी हवाई सेवा का प्रयोग कर पुनः गंतव्य के लिए लौट जाते हैं। किंतु एक से अधिक जगहों की यात्रा करने के लिए पर्यटक सड़क मार्ग का उपयोग करते हैं। म्यांमार, थाइलैंड, दक्षिणी कोरिया, वियतनाम, श्रीलंका, भूटान, नेपाल, ताइवान, लाओस के सर्वाधिक पर्यटक सड़क मार्ग से यात्रा करते हैं।