
गुवाहाटी (हिंस) । असम प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप सैकिया ने मीडिया में आ रही उन खबरों का संज्ञान लिया है, जिनमें कहा गया था कि 22 मार्च को तिनसुकिया जिले में भाजपा असम प्रदेश की पहल पर बिहार राज्य स्थापना दिवस मनाया जाएगा। इस संबंध में अध्यक्ष सैकिया ने स्पष्ट किया कि एनडीए सरकार, भारतीय जनता पार्टी एवं सहयोगी दलों द्वारा बीते वर्षों से एक भारत श्रेष्ठ भारत स्नेह मिलन उत्सव के तहत विभिन्न राज्यों के स्थापना दिवस मनाए जा रहे हैं। इस पहल का उद्देश्य देश में एकता, सद्भावना एवं विविधता के बंधन को मजबूत करना है। दिल्ली, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, मिजोरम और नगालैंड सहित कई राज्यों में असम दिवस मनाया जा चुका है। इसी तरह, असम में भी मणिपुर, मेघालय, त्रिपुरा, गुजरात, महाराष्ट्र और सिक्किम जैसे राज्यों के स्थापना दिवस मनाए गए हैं। अध्यक्ष सैकिया ने स्पष्ट किया कि विभिन्न संगठनों के अनुरोध पर तिनसुकिया में प्रस्तावित बिहार राज्य स्थापना दिवस कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है। हालांकि, उन्होंने दोहराया कि ऐसे स्थापना दिवस समारोह राष्ट्र की एकता और सौहार्द को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । अध्यक्ष सैकिया ने यह भी कहा कि जिस प्रकार असम का असम दिवस हर साल 2 दिसंबर को अन्य राज्यों में सम्मान के साथ मनाया जाता है, उसी प्रकार बिहार के स्थापना दिवस का भी आदर और स्वीकृति होनी चाहिए। उन्होंने इस अवसर को राजनीतिक दृष्टिकोण की बजाय सांस्कृतिक दृष्टिकोण से देखने की अपील की । इसके अलावा, अध्यक्ष सैकिया ने बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर पर प्रकाश डालते हुए बोधगया के 500 वर्ष पुराने आध्यात्मिक महत्व, भगवान महावीर और गौतम बुद्ध की साधना स्थली, तथा प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय कभी 70 विषयों में 10,000 से अधिक छात्रों को शिक्षित करता था। ये ऐतिहासिक उदाहरण बिहार, असम और अन्य भारतीय राज्यों के बीच प्राचीन समय से चले आ रहे सांस्कृतिक संबंधों को दर्शाते हैं, जो आज भी कायम हैं और भविष्य में भी रहेंगे । अध्यक्ष सैकिया ने जनता से अनुरोध किया कि वे इन महत्वपूर्ण पहलुओं पर खुली सोच के साथ विचार करें।
