बाढ़ पीड़ितों के आश्रय स्थल रविंद्र भवन और विश्वविद्यालय बाल निकेतन में रविवार को जाकर महिलाओं बच्चों और पुरुषों के बीच वस्त्र वितरण किया। साथ ही जरूरतमंद को साबुन, सर्फ और तेल का एक कीट भी वितरण किया गया। संस्था के निदेशक गौतम कुमार ने बताया कि गंगा का जलस्तर बढ़ने और भारी बारिश की वजह से गंगा किनारे रहने वाले लोगों का जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। लाखों लोग बेघर होकर जहां तहां रहने को मजबूर है। सरकारी सुविधाओं के बावजूद कई बाढ़ पीड़ित परिवार मूलभूत सुविधाओं से लोग मरहूम है। वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता एनुल होदा ने कहा कि जनप्रिय के सदस्य लगातार बाढ़ पीड़ितों के मदद में लगा हुआ है। आपदा के समय पीड़ितों के साथ आपदा के समय पीड़ितों के साथ खड़ा होना ही सच्चा धर्म है। जनप्रिय महिला स्वावलंबन समिति की संयोजक रेखा कुमारी ने कहा प्राकृतिक आपदा का दंश सबसे ज्यादा महिला और बच्चों को झेलना पड़ता हैं । उन्हें कई तरह के कठनाइयों का सामना करना होता है। जनप्रिय कला सांस्कृतिक मंच के संयोजक इकराम हुसैन शाद ने कहा हमारी संस्था बाढ़ पीड़ितों की मदद में लगी हुई हैं । जनप्रिय के साथी बाढ़ पीड़ितों के शिविरों आदि जगहों पर जाकर उनकी तकलीफों को कम करने और उनका हौसला अफजाई करने का प्रयास लगातार कर रहा है।