बाढ़ की मार में बारिश ने भाजपा विधायकों, खासकर वडोदरा में, के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। शहर बाढ़ से तबाह हो गया है। लोगों से मिलने गए भाजपा विधायकों को कड़ी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा, क्योंकि लोगों ने उन पर चिल्लाना शुरू कर दिया और उन्हें वापस जाने पर मजबूर होना पड़ा। संस्कार नगरी में बाढ़ मानव निर्मित है और विश्वामित्री के विकास के वादों के बावजूद सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है। यहां तक कि ऋषिकेश पटेल, जगदीश विश्वकर्मा और हर्ष संघवी जैसे वरिष्ठ मंत्रियों का भी स्वागत ‘वापस जाओ’ के नारों से किया गया। सोशल मीडिया पर भाजपा को गालियां देने की बाढ़ आ गई। एक वरिष्ठ पूर्व विधायक ने व्यंग्यात्मक टिप्पणी करते हुए कहा, ‘ऐसा तो होना ही था । ये विधायक केवल चुनाव के समय ही लोगों के पास जाते हैं। लोगों का नाराज होना लाजिमी है।’ जाहिर है गुजरात में भाजपा का बहुप्रचारित सदस्यता अभियान’ भी बाढ़ में लगभग ‘बह’ गया है। पार्टी नेता बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अभियान को बाद में चलाने के पक्ष में हैं। भाजपा सदस्यों को डर है कि अन्य स्थानों पर भी उन्हें लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ सकता है। अपर्णा, प्रियंका पर कृपा बरसी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कृपा बरसी और महिला आयोग में अखिलेश यादव के छोटे भाई प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा यादव को उपाध्यक्ष पद मिला। प्रतीक यादव मुलायम सिंह की दूसरी पत्नी साधना यादव के बेटे हैं। करहल सीट पर होने वाले उपचुनाव को देखते हुए अपर्णा यादव की नियुक्ति अखिलेश और समाजवादी पार्टी की परेशानी बढ़ा सकती है। करहल सीट से अखिलेश यादव २०२२ में विधायक चुने गए थे। कन्नौज से २०२४ के लोकसभा चुनाव में सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने यह सीट खाली कर दी है। योगी ने महिला आयोग में प्रियंका गांधी की करीबी रहीं प्रियंका मौर्या को भी जगह दी है। विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के वैंâपेन ‘लड़की हूं मैं, लड़ सकती हूं’ में प्रियंका मौर्या पोस्टर गर्ल थीं। बाद में उन्होंने कांग्रेस से किनारा कर भाजपा का झंडा- डंडा थाम लिया था। उप्र महिला आयोग में कुल २४ सदस्य हैं। अपर्णा २०२० में भाजपा में शामिल हुई थीं । अपर्णा की गौशाला का योगी कई बार दौरा कर चुके हैं । महिला अधिकारों और अन्य मुद्दों पर अपर्णा यादव पूरी मुखरता से बोलती हैं। उपचुनावों से पहले अपर्णा यादव को जिम्मेदारी देने का साफ अर्थ है कि भाजपा उन्हें समाजवादी पार्टी के खिलाफ सियासी जंग में अग्रिम पंक्ति में रखने वाली है ।