फ्लैट मालिकों से ज्यादा बिजली शुल्क वसूला तो देना होगा 18 प्रतिशत जीएसटी, सीबीआईसी का डेवलपर को निर्देश
नई दिल्ली।
आवासीय सोसायटी में रहने वाले लोगों से तय दर से अधिक बिजली शुल्क वसूलने वाली रियल एस्टेट कंपनियों, डेवलपर्स और रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) को बिजली बिल पर 18 फीसदी की दर जीएसटी देना होगा। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने रियल एस्टेट कंपनियों, शॉपिंग मॉल और एयरपोर्ट संचालकों से अपने परिसर की इकाइयों या किराएदारों से वसूले जाने वाले बिजली बिल पर जीएसटी को लेकर स्थिति स्पष्ट की है।
बोर्ड के मुताबिक, यदि डिस्कॉम से खरीदकर महंगी बिजली बेच रहे हैं, तो जीएसटी देना होगा। वहीं, अगर विशुद्ध एजेंट के रूप में बिजली दे रहे हैं, तो उसे आपूर्ति नहीं माना जाएगा। इसलिए, उस बिजली बिल पर जीएसटी नहीं लगेगा । किराए पर दी गई किसी अचल संपत्ति या परिसर के रखरखाव के लिए बिजली देने पर उसे समग्र आपूर्ति माना जाएगा और उसी हिसाब से जीएसटी लगेगा ।
तो बनी रहेगी देनदारी
एएमआरजी एंड एसोसिएट्स में वरिष्ठ साझेदार रजत मोहन ने कहा, सीबीआईसी ने किराए पर दी गई अचल संपत्ति या परिसर के रखरखाव के लिए होने वाली बिजली आपूर्ति पर कर की स्थिति स्पष्ट की है। ऐसे मामलों में समग्र आपूर्ति मानते हुए उस पर 18 फीसदी की दर से कर लगेगा। बिजली बिल अलग से जारी होने पर भी कर देनदारी बनी रहेगी।
किराएदारों पर पड़ सकता है असर
ईवाई पार्टनर सौरभ अग्रवाल ने कहा कि सीबीआईसी के हालिया स्पष्टीकरण ने रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए चिंता बढ़ी दी है। अब मकान मालिक किराए की राशि तय करते समय बिजली पर जीएसटी लागत को जोड़ सकते हैं । इससे किराएदारों को पहले से अधिक किराया देना पड़ सकता है।