इस सप्ताह घरेलू शेयर बाजारों की दिशा अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल i रिजर्व के ब्याज दर पर फैसले से तय 1 होगी। इसके अलावा वैश्विक मोर्चे पर । कई वृहद आर्थिक आंकड़े और विदेशी । निवेशकों की गतिविधियां भी बाजार को दिशा देंगी। विश्लेषकों ने यह राय जताई i है। भारतीय शेयर बाजार के लिए बीता 1 सप्ताह काफी उल्लेखनीय रहा। गुरुवार i को निफ्टी और सेंसेक्स दोनों अपने | सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गए। उसी दिन बीएसई के 30 शेयरों वाले i सेंसेक्स ने पहली बार 83,000 अंक के । स्तर को पार किया। बाजार के विश्लेषकों । ने कहा कि इस सप्ताह साल का सबसे i महत्वपूर्ण घटनाक्रम होने जा रहा है। फेडरल ओपन मार्केट कमेटी मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक 18 सितंबर को होगी। यह लगभग तय है कि इससे व्याज दर में कटौती चक्र की शुरुआत ब्याज दर में कटौती चक्र की शुरुआत होगी। अमेरिका में आम सहमति ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती को लेकर है। हालांकि कुछ बाजार भागीदार व्याज दर में आधा प्रतिशत कटौती की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह का कदम वैश्विक बाजारों के लिए एक महत्वपूर्ण सकारात्मक संकेतक होगा, खासकर भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए। इससे डॉलर कमजोर होगा और अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल में कमी आएगी, जिससे भारतीय शेयर बाजारों में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) का प्रवाह बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि इसके अलावा जापान के मुद्रास्फीति आंकड़े शुक्रवार को आने हैं, जिसके बाद बैंक ऑफ जापान (बीओजे) की मौद्रिक नीति की घोषणा होगी उन्होंने कहा कि विदेशी संस्थागत निवेशकों का प्रवाह, भू-राजनीतिक घटनाक्रम और कच्चे तेल के दाम भी बाजार के लिए महत्वपूर्ण रहेंगे। बाजार का परिदृश्य प्रमुख घरेलू और वैश्विक आर्थिक आंकड़ों जैसे भारत की थोक मुद्रास्फीति, अमेरिका के औद्योगिक उत्पादन, अमेरिकी केंद्रीय बैंक के ब्याज दर पर निर्णय तथा अमेरिका के बेरोजगारी दावों के आंकड़ों से तय होगा । एक अन्य बाजार विश्लेषक ने कहा कि आगे की ओर देखें, तो यह सप्ताह काफी महत्वपूर्ण है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दर पर निर्णय की घोषणा 18 सितंबर को होगी। घरेलू स्तर पर बाजार भागीदारों की निगाह थोक मुद्रास्फीति के आंकड़ों और विदेशी कोषों के प्रवाह पर रहेगी। 13 सितंबर को समाप्त सप्ताह में एक जो प्रमुख बात रही, वह यह कि एफआईआई ने सप्ताह के सभी दिन लिवाली की। उन्होंने कहा कि दो कारण हैं कि एफआईआई ने अपनी रणनीति को बदल दिया है। अब इस बात पर आम सहमति है। कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक इस महीने से दरों में कटौती शुरू कर देगा, जिससे अमेरिका में बॉन्ड पर प्रतिफल घट जाएगा। इससे उभरते बाजारों में निवेश बढ़ेगा। दूसरा, भारतीय बाजार काफी जुझारू है और यदि एफआईआई यहां निवेश नहीं करते हैं, तो यह एक खराब रणनीति होगी।