नई दिल्ली भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने भारत के प्राथमिकता क्षेत्र के ऋण (पीएसएल) ढांचे में महत्वपूर्ण सुधार किए जाने का अनुरोध किया है। उद्योग संगठन ने सुझाव दिया है। कि इससे देश की उभरती आर्थिक प्राथमिकताओं के साथ बेहतर तालमेल हो सकता है। सीआईआई ने उभरते हुए क्षेत्रों को समर्थन देने के लिए अधिक विकास वित्त संस्थानों (डीएफआई) की स्थापना का भी आह्वान किया है। प्राथमिकता क्षेत्र के ऋण में बैंकों को अपने ऋण का एक हिस्सा महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे कृषि, शिक्षा, आवास और छोटे उद्योगों के लिए रखना होता है। सीआईआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पीएसएल ढांचा सफल रहा है, लेकिन इसे नए सिरे से दुरुस्त करने की जरूरत है। उन्होंने भी जोर दिया कि पीएसएल आवंटन में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में विभिन्न क्षेत्रों के बदलते योगदान और उनके विकास की क्षमता नजर आनी चाहिए। सीआईआई ने पीएसएल ढांचे में उभरते क्षेत्रों को शामिल किए जाने की सिफारिश की है, जिससे सतत विकास सुनिश्चित हो सके। उद्योग संगठन ने बुनियादी ढांचे और नवोन्मेषी विनिर्माण पर ही ध्यान देने को भी दिया है। सीआईआई की प्रस्तावित शृंखला में उद्योग संगठन ने ऋण वितरण में परिणाम – आधारित व्यवस्था में बदलाव की भी सिफारिश की है। उसका कहना है कि विकासात्मक परिणामों पर ज्यादा ध्यान देने पर जोर दिया जाए। इस प्रपोजल का मकसद भारत के विकास में महत्वपूर्ण उच्च विकास वाले क्षेत्रों को समर्थन करना है, जिससे देश का आर्थिक उद्यमिता और स्थिरता बनाए रह सके ।