स्वास्थ्य को सुकून प्रदान करते हैं और बड़ी संख्या में देशी-विदेशी सैलानी यहां आकर आनंदित होते हैं
प्रवासियों के अनियंत्रित आगमन पर रोक लगे
अनुज आचार्य
देवी-देवताओं की निवास स्थली देवभूमि हिमाचल इधर बीते 40 सालों से भारत के अन्य राज्यों से आकर काम-धंधों के लिए प्रवास कर रहे प्रवासियों, मुस्लिम समुदाय की बढ़ती आबादी, रेहड़ी-फड़ी वालों, फेरी वालों, नकली बाबाओं, सोना चमकाने वालों, पॉवर ऑफ अटॉर्नी से जमीनें लेकर स्थायी निवासी के रूप में रह रहे प्रवासियों के कारण स्थानीय हिमाचलियों के लिए संकट का सबब बनती जा रही है।
हिमाचल की आबोहवा एवं प्राकृतिक नजारे सेहत एवं स्वास्थ्य को सुकून प्रदान करते हैं और बड़ी संख्या में देशी-विदेशी सैलानी यहां आकर आनंदित होते हैं । लेकिन देवी-देवताओं की निवास स्थली देवभूमि हिमाचल इधर बीते 40 सालों से भारत के अन्य राज्यों से आकर काम-धंधों के लिए प्रवास कर रहे प्रवासियों, मुस्लिम समुदाय की बढ़ती आबादी, रेहड़ी-फड़ी वालों, फेरी वालों, नकली बाबाओं, सोना चमकाने वालों, पॉवर ऑफ अटॉर्नी से जमीनें लेकर स्थायी निवासी के रूप में रह रहे प्रवासियों के कारण स्थानीय हिमाचलियों के लिए संकट का सबब बनती जा रही है और इस वजह से न केवल यहां की डेमोग्राफी अर्थात जनसांख्यिकी में बदलाव आ चुका है, बल्कि यहां की संस्कृति और देव परम्परा के लिए कई तरह की समस्याएं स्थानीय हिमाचली लोगों के समक्ष उभरकर सामने आना शुरू हो चुकी हैं और जिसके कारण आने वाले समय में संघर्ष की परिस्थितियां निर्मित होना तय है। दूसरे हिमाचलकी भौगोलिक परिस्थितियां अब ज्यादा आबादी का बोझ उठाने और बढ़ती प्रवासियों की भीड़ को समायोजित करने में भी असमर्थ हैं। हाल ही में पालमपुर के भवारना में रह रहे बाहरी राज्य के मुस्लिम समुदाय के एक व्यक्ति के नाम पर एक जमीन की रजिस्ट्री होने का मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि यह रजिस्ट्री फर्जी कृषि प्रमाणपत्र के आधार पर हुई है। मामला सामने आते ही एसडीएम पालमपुर ने इस मामले की जांच करवाने की बात कही है। इसी तरह दूसरा मसला हिमाचल प्रदेश में शिमला के संजौली और मंडी शहर में अवैध मस्जिद निर्माण को लेकर गरमाया हुआ है, जिसको लेकर कुछ हिंदू संगठनों ने 11 और 13 सितंबर को शिमला और मंडी शहरों में बड़ा प्रदर्शन किया। हिमाचल प्रदेश में अब मुस्लिम कट्टरपंथी बढ़ते जा रहे हैं, रोहिंग्याओं का मसला अलग है। एक सूचना के अनुसार हिमाचल में मस्जिदों की संख्या 500 से ज्यादा हो चुकी है, जबकि राज्य सरकार के पास इनका सरकारी आंकड़ा 393 का है। आज की तारीख में हिमाचल प्रदेश में बाहरी राज्यों के प्रवासियों की संख्या लाखों में पहुंच चुकी है। हिमाचल का कोई भी गांव / कस्बा ऐसा नहीं बचा है जहां स्थानीय लोगों से ज्यादा संख्या बाहर से आए लोगों की न हो । गृह निर्माण के अतिरिक्त इन्होंने अब दूसरे काम- धंधों में भी हाथ आजमाना शुरू कर दिए हैं जिससे स्थानीय युवाओं के समक्ष स्वरोजगार का संकट गहराने लगा है और कई जगहों से इन प्रवासियों की स्थानीय लोगों के साथ झड़पों एवं मारपीट की खबरें भी सोशल मीडिया में पढने-देखने को मिलती रहती हैं। इन हालात में सबसे चिंताजनक बात यह है कि प्रदेश के पुलिस थानों में इन प्रवासियों का सही तरीके से पंजीकरण नहीं किया जा रहा है। जहां पंजीकरण किया भी जा रहा है, वहां भी ऐसा लगता है कि उनके दस्तावेजों की उनके संबंधित राज्यों के पुलिस थानों से पूरी तरह से वेरिफिकेशन नहीं करवाई जा रही है। इसके अलावा, यह भी देखा गया है कि इन प्रवासियों में से एक समान रूप से बड़ी संख्या के आधार कार्ड पर जन्मतिथि पहली जनवरी ही अंकित है। प्रवासियों के संदर्भ में मंडी से बुद्धिजीवी, लेखक एवं सतत विकास चिंतक प्रवीण शर्मा का उनके फेसबुक वॉल पर आया यह सुझाव भी काबिलेगौर है कि हिमाचल में काम-धंधों की तलाश में आने वाले प्रवासियों से अनिवार्यतः उनका चरित्र प्रमाणपत्र उसके संबंधित राज्य के थाने से उसकी किसी भी आपराधिक गतिविधियों (पूर्व या वर्तमान) में संलिप्त न होने की रिपोर्ट ली जाए। दूसरे, उनसे प्रदेश में जो व्यक्ति उन्हें किराये पर मकान दे रहा है उससे अदालत/नोटरी पब्लिक के माध्यम से यह शपथ पत्र जरूर लिया जाए कि उस प्रवासी के किसी भी मामले मे संलिप्त होने पर पूर्णतया जिम्मेदारी मकान मालिक की ही होगी और तीसरे, मकान मालिकों से यह शपथ पत्र भी अवश्य लिया जाए कि प्रवासी हिमाचल में आने पर रेहड़ी-फड़ी या तहबाजारी जैसे कार्य नहीं करेंगे। ग्राम पंचायतों एवं नगर निकायों को कानूनन यह भी अधिकार दिया जाना चाहिए कि वे प्रवासी किरायेदारों से अथवा उनके मकान मालिक से अतिरिक्त गृहकर वसूलें। यह तीनों दस्तावेज संबंधित थाने में जमा होने पर ही उन्हें ग्राम पंचायत/नगर निकायों से रोजगार के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र मिलना चाहिए और इसका उल्लंघन होने पर जवाबदेही थाना अधिकारी, प्रधान या फिर नगर निकाय प्रमुख की सुनिश्चित की जानी चाहिए। हिमाचल प्रदेश में प्रवासियों की बढ़ती संख्या के अलावा इनके द्वारा गुटका खैनी का प्रचलन एवं स्थानीय युवकों में नशीले पदार्थों के उपभोग से सामाजिक परेशानियां अलग से बढ़ रही हैं। लोग पुलिस को सूचित भी करें तो कैसे करें क्योंकि फिर लोगों की सुरक्षा कौन सुनिश्चित करेगा ? थानों में 30 साल पहले के हिसाब से पुलिस कर्मियों की तैनाती है जिसे बढ़ाने की कभी कोई सरकार कोशिश ही नहीं करती है। पुलिस थानों में न तो पर्याप्त कर्मचारी हैं और न ही वाहन। शिमला प्रकरण से उपजे हालात के मद्देनजर मुख्यमंत्री सुक्खू द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया है कि विधानसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया कि वे प्रदेश की स्ट्रीट वेंडर्स पॉलिसी पर विचार करने के लिए एक संयुक्त समिति का गठन करें। हिमाचल सरकार को प्रदेश में प्रवासियों के अनियंत्रित आगमन पर रोक लगाने के कानूनी प्रावधान करने चाहिए। मुख्यमंत्री के अनुसार हिमाचल प्रदेश में शांति व्यवस्था बनाए रखना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है, लेकिन उन्हें यह भी ध्यान रखना होगा कि दूसरे राज्यों से बड़ी संख्या में आने वाले प्रवासी भारतीयों से हिमाचली नागरिकों के रोजगार एवं सुरक्षा संबंधी सरोकारों और लक्ष्यों पर उनकी सरकार कैसे खरा उतरेगी।