प्रदूषण से बढ़ती मौतों के लिये कौन जिम्मेदार?

प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद, प्रदूषण नियंत्रण तकनीकों, नीतियों, और प्रदूषण को कम करने के महत्व पर ध्यान आकर्षित करना है। यह दिन भोपाल गैस त्रासदी में अपनी जान गंवाने वाले लोगों की याद में मनाया जाता है। यह त्रासदी 2-3 दिसंबर, 1984 की रात को हुई थी। इस त्रासदी में ज़हरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) के कारण सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी। कहते हैं जान है तो जहान है, लेकिन भारत में बढ़ते प्रदूषण के कारण जान और जहान दोनों ही खतरे में हैं। देश एवं दुनिया की हवा में घुलते प्रदूषण का ‘जहर’ अनेक बार खतरनाक स्थिति में पहुंच जाना चिन्ता का बड़ा कारण हैं। प्रदूषण की अनेक बंदिशों एवं हिदायतों के बावजूद प्रदूषण नियंत्रण की बात खोखली साबित हो रही है। यह कैसा समाज है जहां व्यक्ति के लिए पर्यावरण, अपना स्वास्थ्य या दूसरों की सुविधा- असुविधा का कोई अर्थ नहीं है। प्रदूषण के कारण जल, भूमि, और वायु प्रदूषित होता है, जिससे मौतें होती हैं, प्रदूषण से जीवन और स्वास्थ्य की गुणवत्ता प्रभावित होती है। जीवन-शैली ऐसी बन गयी है कि आदमी जीने के लिये सब कुछ करने लगा पर खुद जीने का अर्थ ही भूल गया, इस गंभीर होती स्थिति को यूनिसेफ और अमेरिका के स्वतंत्र अनुसंधान संस्थान ‘हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट’ की साझेदारी में जारी रिपोर्ट ने बयां किया है, इस रिपोर्ट के आंकड़े परेशान एवं शर्मसार करने के साथ चिन्ता में डालने वाले हैं, जिसमें वर्ष 2021 में वायु प्रदूषण से 21 लाख भारतीयों के मरने की बात कही गई है। ज्यादा दुख की बात यह है कि मरने वालों में 1.69 लाख बच्चे हैं, जिन्होंने अभी दुनिया ठीक से देखी ही नहीं थी । निश्चय ही ये आंकड़े जहां व्यथित, चिन्तीत व परेशान करने वाले हैं। वहीं सरकार के नीति-नियंताओं के लिये यह शर्म का विषय होना चाहिए, लेकिन उन्हें शर्म आती ही कहा है ? तनिक भी शर्म आती तो सरकारें एवं उनके कर्ता-धर्मा इस दिशा में गंभीर प्रयास करते । सरकार की नाकामयियों ही हैं कि जिन्दगी विषमताओं और विसंगतियों से घिरी होकर उसे कहीं से रोशनी की उम्मीद दिखाई नहीं दे रही है । बढ़ता वायु प्रदूषण न केवल भारत के लिये बल्कि दुनिया के लिये एक गंभीर समस्या है। चीन में भी इसी कालखंड में 23 लाख लोग वायु प्रदूषण से मरे हैं। जहां तक पूरी दुनिया में इस वर्ष मरने वालों की कुल संख्या का प्रश्न है तो यह करीब 81 लाख बतायी

प्रदूषण से बढ़ती मौतों के लिये कौन जिम्मेदार?
Skip to content