
स्वस्थ रहने और समय से पहले बुढ़ापे से बचने के लिए लोगों को एक संतुलित आहार की तलाश रहती है। लेकिन भारत में एक नई खोज हुई है कि अगर आप लाइफ स्टाइल की वजह से होने वाली बीमारियों से बचते हुए हेल्दी रहना चाहते हैं, तो अपने पूर्वजों के जैसा ही भोजन करें। अब तक स्टोन एज में खाए जाने वाले खाने के महत्व पर केवल पाश्चात्य जगत में ही चर्चा की जाती थी। लेकिन दुबले होने की चिंता से पीड़ित भारतीय युवा वर्ग को भी अब यह सोच आकर्षित करने लगी है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि हर किसी के लिए एक तरह के आहार की सिफारिश करना गलत होगा, लेकिन हम हर किसी के लिए पाषाणयुगीन खानपान से काफी कुछ ले सकते हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि हमारे पूर्वजों का भोजन रेशे यानी फाइबर और पोषक तत्वों से भरपूर था जिससे वे काफी स्वस्थ रहते थे और बुढ़ापा भी उनमें देर से आता था। लेकिन आजकल हमलोग जो खाना खा रहे हैं उसमें फाइबर कम और सोडियम ज्यादा होता है। यही कारण है कि मधुमेह से लेकर हृदय संबंधी रोग के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इसलिए हमें पाषाणयुगीन खाद्य सामग्रियां जैसे सभी तरह की सब्जियां, फल और शाक से भरपूर भोजन लेना चाहिए।
