गुवाहाटी (हि.स.)। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने कहा है कि पुलिस को सेवा और सुरक्षा करने वाले बल में बदलना होगा। मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया के जरिए आज कहा कि असम पुलिस को सड़कों पर आम नागरिकों के खिलाफ अनावश्यक बल का उपयोग नहीं करना चाहिए। इसके विपरीत, पुलिस को गरिमा और सम्मान के साथ लोगों की सेवा और सुरक्षा करने वाले बल में बदलना होगा। अनियंत्रित सत्ता के वे दिन अब अतीत हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि समाज अब पुलिस द्वारा सुरक्षा के लिए किए गए लोगों के खिलाफ अधिकार या हिंसा के दुरुपयोग को बर्दाश्त नहीं करेगा। पुलिस के लिए सुधार, जवाबदेही और विनम्रता अपनाने का समय आ गया है। साथ ही, एक ऐसी शक्ति के लिए नए रास्ते बनाने का समय आ गया है, जो वास्तव में इन मूल्यों की रक्षा करता है। यह टिप्पणी असम के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) जीपी सिंह द्वारा की गई त्वरित कार्रवाई के बाद आई है, जिन्होंने पानबाजार पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी (ओसी) इंस्पेक्टर भार्गव बोरबोरा को निलंबित कर दिया। यह कदम एक वीडियो के प्रसारित होने के बाद उठाया गया, जिसमें बोरबोरा को फैंसी बाजार में जेल रोड ट्रैफिक प्वाइंट के पास एक डिलीवरी एजेंट के साथ मारपीट करते हुए दिखाया गया था । प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यह घटना शुक्रवार शाम करीब 6:30 बजे हुई, जब डिलीवरी एजेंट ने कथित तौर पर लाल सिग्नल पार किया। पुलिस अधिकारी ने व्यक्ति का पीछा किया, उसे घसीटकर सड़क किनारे ले गया और खड़े लोगों के सामने उसके साथ मारपीट की। यह झड़प एक राहगीर के मोबाइल फोन पर कैद हो गई और तुरंत वायरल हो गई, जिससे लोगों में आक्रोश फैल गया। डीजीपी सिंह ने बर्बोरा के व्यवहार को अस्वीकार्य बताते हुए उन्हें तत्काल निलंबित करने की घोषणा की और मामले की विभागीय जांच के आदेश दिए। सिंह ने एक बयान में कहा कि इंस्पेक्टर भार्गव बर्बोरा का व्यवहार अस्वीकार्य है। उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जा रहा है और सीपी गुवाहाटी को तुरंत किसी अन्य अधिकारी को तैनात करने की सलाह दी गई है। इस घटना ने पुलिस की जवाबदेही और कानून प्रवर्तन में जनता के भरोसे को लेकर बहस को फिर से हवा दे दी है। कई नागरिकों ने अधिकारियों द्वारा की गई त्वरित कार्रवाई की प्रशंसा की है, लेकिन ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए व्यवस्थागत बदलावों की भी मांग की है। पुलिस सुधारों पर मुख्यमंत्री का बयान असम पुलिस के भीतर जवाबदेही और करुणा को बढ़ावा देने के लिए प्रशासन की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। विभागीय जांच आगे बढ़ने के साथ ही, न्याय सुनिश्चित करने और जनता का विश्वास फिर से बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। यह मामला कानून प्रवर्तन प्रथाओं को लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ सरेखित करने, पारदर्शिता पर जोर देने और सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने के महत्व की याद दिलाता है।