कोलकाता (ईएमएस)। इन दिनों बंगाल की खाड़ी में चक्रवात का असर देखा जा रहा है, जिससे पश्चिम बंगाल में बारिश हो रही है और दुर्गा पूजा की तैयारियों पर भी इसका असर पड़ रहा है। लेकिन, यह मौसम केवल वर्तमान की कहानी नहीं कहता। बल्कि आज से 160 साल पहले, 5 अक्टूबर 1864 को, बंगाल ने एक विनाशकारी चक्रवात का सामना किया था, जिसने हजारों लोगों की जिंदगी तबाह कर दी थी। इस चक्रवात ने न केवल आम जनजीवन, बल्कि स- रकारी इमारतों जैसे हाई कोर्ट टेलीग्राफ दफ्तर और जेल को भी भारी नुकसान पहुंचाया। उस दिन समुद्र का जलस्तर 40 फीट तक बढ़ गया, जिससे सैकड़ों फूस के घर और हजारों मिट्टी के घर पूरी तरह से नष्ट हो गए थे। खजूरी बंदरगाह, जो कभी व्यापार का मुख्य केंद्र था, समुद्र में डूब गया। बंगाल का पूर्वी मेदिनीपुर जिला, विशेष रूप से खेजुरी, जो एक प्रमुख आयात-निर्यात केंद्र था, समुद्री तूफान की चपेट में आ गया । चक्रवात ने कोलकाता सहित एक बड़े हिस्से को तहस-नहस कर दिया था। कोलकाता में बाढ़ की स्थिति भयानक थी, जिसमें लगभग 60,000 लोगों की जान चली गई थी। बाढ़ के बाद भी बीमारी और संक्रमण के चलते कई लोगों ने अपनी जान गंवा दी। खास बात यह थी कि एक डकैती मामले में 32 लोगों को कोलकाता ले जाया जा रहा था, जिन्होंने सड़क पर इस विनाशकारी तूफान का सामना किया । इनमें से केवल 2 लोग ही जीवित बच सके। उस दिन भारी बा – रश भी हुई, जिसके दौरान खजूरी से कुछ ही दूरी पर स्थित कौखली गांव में लाइटहाउस की ऊंचाई तक पानी भर गया था। 5 अक्टूबर 1864 का चक्रवात बंगाल के इतिहास में एक काले दिन के रूप में दर्ज है, जिसने न केवल क्षेत्र को बर्बाद किया, बल्कि हजारों लोगों की जिंदगियों को भी हमेशा के लिए बदल दिया ।