निर्यात बढाने - आयात घटाने के लिए 24 क्षेत्रों पर सरकार का जोर
नई दिल्ली।
घरेलू विनिर्माण व निर्यात बढ़ाने के साथ आयात घटाने के लिए उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) 24 उप-क्षेत्रों के साथ काम कर रहा है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने कहा, मेक इन इंडिया 2.0 के तहत भी 27 क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। डीपीआईआईटी 15 विनिर्माण क्षेत्रों के लिए एक्शन प्लान बना रहा है। डीपीआईआईटी जिन क्षेत्रों के साथ काम कर रहा है, वे भारतीय उद्योगों की ताकत हैं। उन्हें प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त, निर्यात संभावना और बढ़ी रोजगार क्षमता को ध्यान रखकर चुना गया है । वाणिज्य विभाग सेवाओं से जुड़े 12 क्षेत्रों के साथ योजना बना रहा है।
इन क्षेत्रों पर ध्यान - फर्नीचर, एसी, चमड़ा, तैयार खाना, मछली पालन, कृषि उत्पाद, ऑटो कलपुर्जे, एल्यूमीनियम, कृषि रसायन, इस्पात, कपड़ा, ईवी कलपुर्जे, इथेनॉल, इलेक्ट्रॉनिक्स, चीनी मिट्टी की चीजें, सेट टॉप बॉक्स, रोबोटिक्स, टीवी, क्लोज सर्किट कैमरे, खिलौने, ड्रोन, चिकित्सा उपकरण, खेल के सामान ।
इस्पात : पीएलआई 2.0 योजना- केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा, सरकार पीएलआई योजना 2.0 पर काम कर रही है। मंजूर - दवा, एलईडी, एसी और इलेक्ट्रिक साथ ही 2024 में इस्पात के लिए पर्याप्त कच्चे उत्पादों जैसे 14 क्षेत्रों के लिए उत्पादन आधारित माल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के तरीकों पर प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं के तहत भी विचार कर रही है। मजबूत आर्थिक वृद्धि से नवंबर तक 746 आवेदनों को मंजूरी मिली है। इस्पात की मांग बढ़ेगी, हालांकि कंपनियां कई विनिर्माण क्षमताओं और निर्यात को बढ़ाने के देशों के तनाव के चलते अनिश्चितताओं के बीच लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये के खर्च के साथ बढ़ते आयात और कच्चे माल की ऊंची कीमतों 14 क्षेत्रों के लिए पीएलआई की घोषणा की गई को लेकर चिंतित हैं। भारत ने 2030 तक 30 थी। वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, लाभार्थी करोड़ टन इस्पात विनिर्माण क्षमता का लक्ष्य कंपनियों ने 24 राज्यों के 150 से अधिक जिलों रखा है। वर्तमान में देश की क्षमता करीब 16.1 में इकाइयां स्थापित की हैं। सितंबर तक 95,000 करोड़ टन है । करोड़ से अधिक का निवेश हुआ है। इससे 7.80 पीएलआई : 14 क्षेत्र के 746 आवेदन लाख करोड़ का उत्पादन या बिक्री हुई है।